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सुप्रीम कोर्ट ने 43 रोहिंग्याओं को हाथ बांधकर समुद्र में फेंक कर उन्हें जबरन निर्वासित करने के आरोप वाली याचिका पर सवाल उठाया है. कोर्ट ने इसे आधार बनाकर रोहिंग्याओं के निर्वासन पर रोक की मांग कर रहे याचिकाकर्ता की मांग ठुकरा दी. जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए पूछा कि इस आरोप को साबित करने के लिए उसके पास क्या सबूत है. क्या वो मौके पर मौजूद था?
SC के सवाल
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस से पूछा कि क्या किसी ने रोहिंग्याओं को समुद्र में फेंकते हुए देखा है !क्या उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग हुई है ! दरअसल गोंजाल्विस की ओर से बताया गया था कि रोहिंग्याओं को अंडमान ले जाया गया था. वहाँ से उन्हें समुद्र में फेंका गया था. अभी वो सब वार जोन में है. याचिका के मुताबिक इन 43 रोहिंग्या में बच्चे, महिलाएं, बुजुर्गों के साथ साथ कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से पीड़ित लोग भी है
हर दिन नई कहानी- SC
जस्टिस सूर्यकांत ने वकील कॉलिन गोंजाल्विस से कहा कि हर दिन आप रोहिंग्या को लेकर एक नई कहानी लेकर आ जाते है.इसका आधार क्या है? इस आरोप को साबित करने के लिए क्या सबूत है. भारत- पाक में बीच चल रहे मौजूदा टकराव की ओर इशारा करते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि देश इतने मुश्किल हालात से जूझ रहा है और आप कोर्ट में ऐसी काल्पनिक कहानी लेकर आ रहे है.
याचिकाकर्ता की ओर से वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि इस केस में याचिकाकर्ता भारत का निवासी है.उसके रिश्तेदार को समुद्र में फेंक कर म्यामांर भेजा गया था.उसने अपने रिश्तेदार को फोन कर इसकी जानकारी दी है.इस कॉल की रिकॉर्डिंग भी उनके पास है. कोर्ट ने कहा कि ऐसी सूरत में दिल्ली में बैठा शख्श कैसे समुद्र में फेंके जाने के आरोपों की पुष्टि लर सकता है.
भारत के बाहर बैठे लोग दखल नहीं दे सकते
कॉलिन गोंजाल्विस ने दलील दी कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त आयोग ने भी इस बात का संज्ञान लेकर जांच शुरू कर दी है तो जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम उस रिपोर्ट को देखेंगे. भारत से बाहर बैठे ये लोग देश की सम्प्रभुता और सुरक्षा से जुड़े मसले पर दखल नहीं सकते.
अभी रोहिग्याओं के निर्वासन पर रोक नहीं
वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने दलील दी कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल नहीं दिया तो लोगों को ऐसे ही समुद्र में छोड़ा जाता रहेगा.उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि वो रोहिंग्या लोगों के निर्वासन पर रोक लगा दे . हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश पास करने से इनकार कर दिया .जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि रोहिंग्या के निर्वासन से जुड़ी याचिकाएं पहले ही तीन जजों की बेंच के पास लंबित है. 8 मई को भी तीन जजों की बेंच ने रोहिंग्याओं के निर्वासन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. आगे वो मामला 31 जुलाई को सुनवाई के लगा है. उसी वक़्त इस अर्जी पर भी सुनवाई होगी