चुनाव के नतीजे आने से पहले एक बार इस गुमनाम हीरो के बारे में जरूर जान लें
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चुनाव के नतीजे आने से पहले एक बार इस गुमनाम हीरो के बारे में जरूर जान लें

विधान सभा चुनाव के नतीजे (Vidhan Sabha Elections Results) जानने के लिए हर कोई बेचैन नजर आ रहा है. लेकिन आपको चुनाव के नतीजे जानने से पहले एक बार इस अनसंग हीरो के बारे में भी जान लेना चाहिए जिसने आपके मतदान (Voting) के हक को निभाना इतना आसान बना दिया. 

भारत के पहले इलेक्शन कमिश्नर

नई दिल्ली: इस समय हर कोई चुनाव के नतीजों (Elections Results) की अटकलें लगाने में व्यस्त है. आम आदमी से लेकर न्यूज चैनल्स तक हर कोई किस राज्य में किसकी सरकार (Government) आएगी, इस पर अपनी-अपनी राय बताने और भविष्यवाणी करने में जुटा हुआ है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस चुनाव के नतीजों का हर बार सस्पेंस बना रहता है उसकी खोज करने में किसका हाथ था?

  1. सुकुमार सेन भारत के पहले इलेक्शन कमिश्नर
  2. वक्त के साथ धुंधला गई पहचान
  3. सेन के योगदान को भुलाना नहीं है आसान

इलेक्टोरल सिस्टम बनाने में इस शख्स का गजब का योगदान

जिस इलेक्टोरल सिस्टम (Electoral System) को आज हम फॉलो करते हैं उसे स्थापित करने में हमारे पहले इलेक्शन कमिश्नर का बहुत बड़ा योगदान रहा है. बुद्धिमानी में शानदार और गणित के बेताज बादशाह रहे सुकुमार सेन (Sukumar Sen) भारत के पहले इलेक्शन कमिश्नर थे. 

भारतवासियों में था जुनून

आजादी के बाद जहां एक तरफ भारतवासियों की रगों में जीने का जोश और जुनून था तो वहीं दूसरी ओर ऊंचे पदों पर बैठे राजनीति (Politics) से जुड़े अधिकारियों पर आजाद भारत को संभालने और संवारने की बड़ी जिम्मेदारी भी थी. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र (Democracy) के लिए एक चुनावी प्रणाली को डिजाइन करना यकीनन आसान नहीं था. बता दें कि इस सिस्टम को बनाने वाले सेन पद्म भूषण (Padma Bhushan) के पहले रेसिपिएंट्स में से एक थे.

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सुकुमार सेन ने संभाली बागडोर

आजाद भारत के लिए सुकुमार सेन (Sukumar Sen) एक ऐसा नगीना साबित हुए जिनका तेज आज के भारत में कहीं धुंधला सा हो गया है. बता दें कि उस समय लोगों को चुनाव में मतदान (Voting) की अहमियत समझाने के लिए फिल्म और रेडियो का इस्तेमाल किया गया था. चुनाव आयोग (Election Commission) और सेन के मार्गदर्शन में आईसीएस अधिकारियों की टीम ने भी भारत में हर घर के अडल्ट को वोट देने के लिए राजी किया.

अंत में मिली अपार सफलता

अशिक्षित आबादी से डील करना सुकुमार के लिए एक बड़ी चुनौती थी. सेन को महिलाओं की ठीक से इंडिविजुअल पहचान ना होने से भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था. लेकिन सभी चुनौतियों का सामना करते हुए सुकुमार सेन ने एक ऐसी सरल कार्य प्रणाली तैयार की जिसमें दलों के चुनावी चिह्न (Election Symbol) से आसानी से अशिक्षित लोग भी दलों की पहचान कर सकें.

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इस अनसंग हीरो के विदेश में भी थे चर्चे

इस अनसंग हीरो (Unsung Hero) के व्यक्तित्व का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि सुकुमार को सूडान ने 1953 में अपने पहले संसदीय चुनाव (Election) कराने के लिए भी आमंत्रित किया था. 

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