हाल ही में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भारत के पहले आधिकारक दौरे पर थे, जबकि अफगानिस्तान के विदेश मंत्री भारत दौरे पर हैं. दोनों देश के नेताओं का भारत आने को लेकर सवाल उठता है कि क्या भारत को इससे कोई फायदा है? तो चलिए जानते हैं.
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ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर दो दिवसीय भारत दौरे पर पहुंचे. पीएम स्टार्मर के भारत दौरे से दोनों देशों को काफी फायदा मिलने वाला है. दूसरी तरफ अफगानिस्तान के विदेश मंत्री भारत पहुंचे हुए हैं. इस बीच रिटायर्ड ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने बताया कि दोनों देशों के नेताओं के भारत आने से क्या फायदा होगा.
हेमंत महाजन ने कहा,'ब्रिटेन हमारा बहुत बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है. ब्रिटेन के साथ हमारी ट्रेड एग्रीमेंट हुई है. अभी यह इंपॉर्टेंट है कि उसके ऊपर अच्छी तरह से अमल किया जाए. हमारे और उनके बीच 65 बिलियन डॉलर का ट्रेड है और यह बढ़ेगा तो दोनों देश के लिए अच्छा है. हमारी चीजों के लिए दूसरा मार्केट मिल जाता है. पीएम स्टार्मर के साथ काफी सारी फेमस एजुकेशनल इंस्टीट्यूट, ऑक्सफोर्ड जैसे इंस्टीट्यूट, आए थे. ऑक्सफोर्ड जैसे टीचिंग फैकल्टी भी आए थे. उनके यहां की वर्ल्ड क्लास ब्रांच अगर हमारे यहां खोलते हैं, तो हमें इंग्लैंड जाने की जरूरत नहीं. हम हमारे देश में ही सीख सकते हैं, जिससे हमारी क्वालिटी ऑफ एजुकेशन बढ़ने में मदद मिल सकती है.'
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उन्होंने आगे कहा कि आज ब्रिटेन की जमीन का इस्तेमाल 'खालिस्तानी लोग' उल्टी-सीधी बातें करने के लिए करते हैं. हमारे प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन के पीएम को बताया है कि खालिस्तानी हो या कोई और उन्हें वहां पर हिन्दुस्तान के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करने देनी चाहिए. रिटायर्ड ब्रिगेडियर हेमंत महाजन ने कहा,'देखिए यह बहुत ही बड़ा और इंपॉर्टेंट इवेंट है. तालिबान के फॉरेन मिनिस्टर हमारे देश में आए हैं, हमारे फॉरेन मिनिस्टर से मिले हैं. हमारे नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर उनसे मिलने वाले हैं. तालिबान के साथ यह बहुत इंपॉर्टेंट डेवलपमेंट है. इसकी वजह यह है कि काफी बार अफगानिस्तान की जमीन पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए इस्तेमाल की थी, अब वह नहीं होगा. हमारे लिए यह बहुत बड़ी बात है.'
उन्होंने आगे कहा कि दूसरी बात यह है कि इस इलाके में चीन भी काफी एक्टिव है. चीन हमारे खिलाफ अफगानिस्तान की धरती से साजिश ना करे, इसलिए अफगानिस्तान का इस्तेमाल हम कर सकते हैं. कोई भी देश जो भारत के खिलाफ कार्रवाई करता है, तो उस पर नजर रखने के लिए अफगानिस्तान से हमें मदद मिल सकती है. तीसरी बात यह है कि तालिबान का शासन जब वहां आया, तो पाक उसका इस्तेमाल करने के बारे में सोच रहा था. इसलिए तालिबान अगर हमारे साथ रहेगा, तो हमें फायदा होगा.
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जैश-ए-मोहम्मद ने 'जमात-उल-मोमिनात' नामक अपनी पहली महिला ब्रिगेड की स्थापना की घोषणा की. इस पर उन्होंने कहा,'देखिए, जब ऑपरेशन सिंदूर हुआ था, उसमें जैश-ए-मोहम्मद को काफी नुकसान हुआ था. जैसे जैश-ए-मोहम्मद के जो रिक्रूट हैं, उन्हें मैनपावर की कमी पड़ रही है. शायद इस कमी की वजह ही महिलाओं को भी इसमें शामिल किया गया है. इसका इतिहास देखेंगे, तो महिलाओं ने अब तक दहशतगर्दी में हिस्सा नहीं लिया है. वे सिर्फ समर्थन के लिए हैं, डायरेक्ट किसी हमले में हिस्सा नहीं लिया. काफी बार महिलाओं का इस्तेमाल सुसाइड बम के रूप में किया है, यहां भी वह हो सकता है.'
(इनपुट-आईएएनएस)