Dattatreya Hosabale: सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने भाजपा और आरएसएस के रिश्तों को लेकर अहम बयान दिया है. बेंगलुरु में आयोजित RSS की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के आखिरी दिन होसबले ने कहा कि फिलहाल आरएसएस और सरकार के बीच कोई संकट नहीं है और सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा है.
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RSS Meeting: बेंगलुरु में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के आखिरी दिन सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने भाजपा और आरएसएस के रिश्तों को लेकर अहम बयान दिया है. उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान अक्सर इस रिश्ते को लेकर कई तरह के आकलन किए जाते हैं, लेकिन असल आकलन तो देश की जनता ने किया है.
उन्होंने कहा कि RSS भी देश का एक अभिन्न हिस्सा है और अगर वह किसी भूमिका में हैं, तो वे हर सरकार के लिए अभिभावक के रूप में हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई सरकार का हिस्सा नहीं बनता, तो यह अलग बात है, लेकिन फिलहाल आरएसएस और सरकार के बीच कोई संकट नहीं है और सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा है.
औरंगजेब मामले पर बोले होसबोले
वहीं, होसबले ने औरंगजेब मामले पर भी अपनी बात रखी. उन्होंने दिल्ली के औरंगजेब रोड को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि इसे अब्दुल कलाम रोड में बदला गया है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि भारत में औरंगजेब के भाई दारा शिकोह को कभी भी एक आइकॉन के रूप में क्यों नहीं माना गया? जबकि औरंगजेब को इस कैटेगरी में रखा गया है. होसबले के मुताबिक, यह उलटा होना चाहिए था.
वक्फ से जुड़े मुद्दे पर होसबले ने दी ये सलाह
इसके अलावा, वक्फ से जुड़े मुद्दे पर भी होसबले ने अपनी सलाह दी. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ आरएसएस का ही मुद्दा नहीं है, बल्कि समाज के कई लोग भी वक्फ की जमीनों के मामले में आवाज उठा रहे हैं. इसके हल के लिए सरकार ने ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) का गठन किया है और उसके फैसले का इंतजार किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि संघ समाज से बाहर नहीं है, बल्कि वह समाज का एक अभिन्न हिस्सा है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया कि राम मंदिर का निर्माण आरएसएस की निजी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से समाज की कोशिशों का नतीजा है.
होसबले ने कहा, 'संघ कोई पैरामीटर सेट नहीं करता, और न ही किसी खास काम को खुद के नाम से जोड़ता है. संघ समाज का हिस्सा है और समाज ही वह ताकत है, जो बदलाव और उपलब्धियां लाती है.' उन्होंने भारत की गौरव और संस्कृति के पुनर्निर्माण का श्रेय भी समाज को दिया और कहा, 'भारत की अस्मिता और संस्कृति को पुनः स्थापित करने का काम समाज ने किया है. यह सब भारत के लोगों की मेहनत और कोशिशों का नतीजा है.'
होसबले ने यह स्पष्ट किया कि ऐसे कार्यों को श्रेय समाज के समग्र योगदान को दिया जाना चाहिए, और यह समाज की सामूहिक उपलब्धि है.
सभा में देशभर के 1443 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया
बेंगलुरु में आयोजित तीन दिवसीय इस सभा में देशभर के 1443 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया, जिनमें नॉर्थ ईस्ट से लेकर कन्याकुमारी और जम्मू कश्मीर तक के वर्कर्स शामिल थे. सभा में संघ के पिछले एक साल के कार्यकाल की समीक्षा की गई और आने वाले वक्त में संघ के विस्तार और कार्यकुशलता पर जोर देने की बात की गई. होसबले ने कहा, 'विजयादशमी के दिन 100 साल पूरे हो जाएंगे. यह आत्मचिंतन का वक्त है और समाज तक हमारे काम को पहुंचाने की जरूरत है. साथ ही राष्ट्र निर्माण के लिए आगे का रोड मैप तैयार किया गया है.'
विजयादशमी के दिन देश में 1 लाख जगहों पर ये पर्व मनाया जाएगा
संघ ने 100 साल की इस यात्रा के दौरान समाज के लिए कई अहम कदम उठाने का संकल्प लिया. इस संकल्प के तहत विजयादशमी के दिन, 2 अक्टूबर को पूरे देश में 1 लाख जगहों पर ये त्योहार मनाया जाएगा, साथ ही शताब्दी वर्ष समारोह की शुरुआत होगी. संघ के सरसंघ चालक राजधानी दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और कोलकाता में बुद्धिजीवियों के साथ बैठक करेंगे ताकि एक देश, एक संस्कृति के विचार को मजबूती से स्थापित किया जा सके और देश की एकता और संप्रभुता के लिए काम किया जा सके. इसके अलावा, 15 से 30 साल के युवाओं के लिए खास प्रोग्राम भी आयोजित किए जाएंगे.