भीमा कोरेगांव मामला: 5 एक्टिविस्ट को SC से राहत नहीं, पुनर्विचार याचिका खारिज
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भीमा कोरेगांव मामला: 5 एक्टिविस्ट को SC से राहत नहीं, पुनर्विचार याचिका खारिज

सीजीआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 2-1 से दिए गए फैसले में पुनर्विचार की मांग की गई थी.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार पांच एक्टिविस्ट को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. सीजीआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 2-1 से दिए गए फैसले में पुनर्विचार की मांग की गई थी. दरअसल, 28 सितंबर को दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव केस में पांच एक्टिविस्ट की गिरफ्तारी मामले में एसआईटी जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने पांचों एक्टिविस्टों की हाउस अरेस्ट की मियाद 4 हफ्ते के लिए और बढ़ा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तब तक एक्टिविस्ट राहत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटा सकते है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले महाराष्ट्र सरकार की ओर से ASG तुषार मेहता ने कहा था कि सभी आरोपियों के खिलाफ मामले में पुख्ता सबूत हैं.FIR में छह लोगों के नाम हैं लेकिन किसी की भी तुरंत गिरफ्तारी नहीं की गई थी. शुरूआती जांच में सबूत सामने आने पर छह जून को एक गिरफ़्तारी हुई, जिसे कोर्ट में पेशकर के रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई. कोर्ट से सर्च वांरट लिया गया था. जांच की निगरानी डीसीपी व सीनियर अधिकारी ने की थी. जब्त किए गए कंप्यूटर लैपटाप व पेनड्राइव को फॉरेंसिक जांच के लिए लैब भेजा गया. पूरी सर्च की वीडियोग्राफ़ी करवाई गई. आरोपी सीपीआई माओवादी संगठन से जुड़े है और ये प्रतिबंधित संगठन है. तुषार मेहता ने कहा था कि कोर्ट जब दस्तावेजों में हमे रोना विल्सन की तस्वीर मिली. उसमें रोना के साथ दिख रहा शख्स छत्तीसगढ़ में 40 लाख और महाराष्ट्र में 50 लाख के इनाम वाला आरोपी है. मेहता ने कहा था कि कोर्ट आरोपियों की दलील सुनकर अपना विचार न बनाए. सरकार की भी पूरी बात सुननी चाहिए. 

पांच एक्टिविस्ट की हुई थी गिरफ्तारी 
भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच कर रही पुणे पुलिस ने मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद औऱ रांची में एक साथ छपेमारी कर घन्टो तलाशी ली थी और फिर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. पुणे पुलिस के मुताबिक, सभी पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन से लिंक होने का आरोप है. जबकि, मानवाधिकार कार्यकर्ता इसे सरकार के विरोध में उठने वाली आवाज को दबाने की दमनकारी कार्रवाई बता रहे हैं. रांची से फादर स्टेन स्वामी, हैदराबाद से वामपंथी विचारक और कवि वरवरा राव, फरीदाबाद से सुधा भारद्धाज और दिल्ली से सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलाख की भी गिरफ्तारी भी हुई है.

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