Yashwant Verma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा केस में एक बड़ी अपडेट सामने आई है. उनके आवास से करोड़ों में कैश बरामद हुआ था जिसके बाद उनपर लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है.
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Yashwant Verma Case: जस्टिस यशवंत वर्मा केस में एक बड़ी अपडेट सामने आई है. बता दें कि उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. तीन सदस्यीय समिति में न्यायमूर्ति शील नागू, जीएस संधावालिया और अनु शिवरामन शामिल हैं. जांच को देखते हुए जस्टिस वर्मा से सभी न्यायिक काम वापस ले लिया गया है. इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय ने मामले के संबंध में सीजेआई को एक रिपोर्ट सौंपी है.
मामले में क्या क्या हुआ
मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जस्टिस वर्मा के आवास पर हुई घटना को लेकर गलत जानकारी और अफवाहें फैलाई जा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट के बयान में बताया गया कि जस्टिस वर्मा, जो दिल्ली हाईकोर्ट में सीनियरिटी में दूसरे स्थान पर हैं और कोलेजियम के सदस्य भी हैं, को उनके मूल हाईकोर्ट, यानी इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का प्रस्ताव पर अभी चर्चा चल रही है. वहां उनकी वरिष्ठता नौवें स्थान पर होगी. इस तबादले का प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए शुरू की गई नकदी विवाद जांच से पूरी तरह अलग है.
आवास पर लगी थी आग
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लग गई थी. जिस समय ये घटना हुई जज किसी काम से बाहर गए हुए थे. आग लगने के बाद जब आग को बुझाने फायर बिग्रेड की टीम पहुंची तो उसके होश उड़ गए थे. रिपोर्ट के मुताबिक उनके से आवास से 15 करोड़ रूपए बरामद हुए थे. जिसके बाद उन्होंने ट्रांसफर की सिफारिश की. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें वापस इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का फैसला किया था.
जिसके बाद इलाहाबाद बार एसोसिएशन ने कहा था कि यह कोई ‘ट्रैश बिन’ (कूड़ेदान) नहीं है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि एक जज के घर में 15 करोड़ रूपए मिले हैं और उन्हें घर वापसी का इनाम मिल रहा है. यदि किसी सामान्य कर्मचारी के घर से 15 लाख रुपये बरामद होते हैं, तो उसे जेल भेज दिया जाता है. एक न्यायाधीश के घर से 15 करोड़ रुपये की नकदी बरामद होती है और उसे 'घर वापसी' दी जा रही है. क्या इलाहाबाद उच्च न्यायालय कूड़ेदान है? (इनपुट- पीटीआई)