मॉब लिंचिंग पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बयान, जरूरत पड़ी तो बनाएंगे कानून
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मॉब लिंचिंग पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह का बयान, जरूरत पड़ी तो बनाएंगे कानून

गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने सोमवार को एक पैनल बनाया जो देश में भीड़ हिंसा रोकने के उपायों पर सुझाव देगा. उन्होंने कहा कि गृह सचिव के नेतृत्व वाला पैनल चार सप्ताह के भीतर मंत्रियों के समूह को अपनी सिफारिशें देगा.

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह.

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं को बहुत ही गंभीरता से ले रही है और 'अगर इन घटनाओं को रोकने के लिए जरूरत पड़ी तो' कानून लाया जाएगा. राजस्थान के अलवर में एक मुस्लिम व्यक्ति को भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मारे जाने (मॉब लिचिंग) का मुद्दा विपक्ष द्वारा लोकसभा में उठाए जाने पर राजनाथ ने कहा, "मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि हम केवल चिंतित ही नहीं हैं, बल्कि घटनाओं को गंभीरता से ले रहे हैं."

गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने सोमवार को एक पैनल बनाया जो देश में भीड़ हिंसा रोकने के उपायों पर सुझाव देगा. उन्होंने कहा कि गृह सचिव के नेतृत्व वाला पैनल चार सप्ताह के भीतर मंत्रियों के समूह को अपनी सिफारिशें देगा.

उन्होंने कहा, "अगर जरूरत पड़ी तो हम कानून लाएंगे." राजनाथ ने एक बार फिर कहा कि लिंचिंग की सबसे बड़ी घटना 1984 में हुई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री की हत्या के बाद हजारों सिख मारे गए थे. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं.

हर चीज का राजनीतिकरण करना ठीक नहीं : सुमित्रा महाजन
मॉब लिंचिंग मामले में मंगलवार को सदन में गृह मंत्री के आश्वासन और बयान के बाद भी यह मुद्दा उठाने को लेकर विपक्ष के हंगामे पर नाराजगी जाहिर करते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि जब गृह मंत्री ने इस मामले में समिति गठित करने के साथ विस्तृत बयान दिया है, ऐसे में हर चीज का राजनीतिकरण करना ठीक नहीं है. विपक्षी सदस्य शून्यकाल में मॉब लिंचिंग का विषय उठाने की मांग कर रहे हैं . अध्यक्ष महाजन ने तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय को बात रखने की अनुमति दी. इसके बाद कांग्रेस, माकपा समेत कई अन्य दल इस विषय को उठाने की मांग करने लगे.

इस पर महाजन ने कहा कि वह किसी को मुद्दा उठाने से मना नहीं कर रही हैं, पर रोज रोज एक ही बात कहना ठीक नहीं है. वह भी तब, जब गृह मंत्री इस बारे में बयान दे चुके हों और समिति गठित करने की बात कह चुके हों.

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि अगर सदस्य फिर भी इस विषय को उठाना चाहते हैं, तो हो जाए, एक बार सभी लोग बोल लें और फिर वह गृह मंत्री से फिर कहेंगी कि वह बयान दें.

उन्होंने कहा, ‘हर चीज का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए.’ इससे पहले प्रश्नकाल समाप्त होते ही सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे आसन के समीप आकर भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करने का मुद्दा उठाने की अनुमति मांगने लगे.

खड़गे सोमवार से इस विषय पर बात नहीं रखने देने का भी आरोप लगा रहे थे. तृणमूल कांग्रेस के सदस्य भी अपने स्थान से उठकर अपने नेता सुदीप बंदोपाध्याय को लिंचिंग के विषय पर बोलने देने की इजाजत मांग रहे थे. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष आवश्यक कागजात सदन के पटल पर रखवा रही थीं और उन्होंने सभी सदस्यों से अपने स्थानों पर जाने का आग्रह किया.

उन्होंने कहा कि शून्यकाल में सभी को बोलने का अवसर दिया जाएगा लेकिन सदस्यों को पहले अपने स्थान पर जाना होगा. खड़गे को यह भी कहते सुना गया कि ‘‘यह भाजपा का सदन नहीं है. जनता का सदन है. लोकसभा है.’ उनके इस बयान पर भाजपा के निशिकांत दुबे और अन्य पार्टी सदस्यों ने उनसे माफी मांगने को कहा. वामदलों के सदस्य अपने स्थानों पर हाथों में पोस्टर लेकर खड़े थे जिनमें लिखा था ‘‘त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल में वामपंथी कार्यकर्ताओं पर जानलेवा हमले बंद हों.’ 

शून्यकाल में सभी सदस्यों को भीड़ हत्या के विषय पर बोलने की अनुमति देने से पहले लोकसभा अध्यक्ष ने सदस्यों के हंगामे पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा, ‘मैंने पहले ही कहा था कि शून्यकाल में सभी को बोलने का अवसर दूंगी. उसके बाद भी सदस्यों का इस तरह व्यवहार उचित नहीं है.’’ महाजन ने कहा, ‘‘कई सांसदों में भावना है कि पार्टियों के नेता उनका समय ले जाते हैं और उन्हें अपने क्षेत्रों के महत्वपूर्ण विषय उठाने का समय नहीं मिलता.’

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