झारखंड में 10 लाख के इनामी नक्सली ने किया आत्मसमर्पण, 30 से अधिक मामले दर्ज
Advertisement

झारखंड में 10 लाख के इनामी नक्सली ने किया आत्मसमर्पण, 30 से अधिक मामले दर्ज

भूषण यादव के ऊपर पुलिस ने 10 लाख का इनाम रखा था. झारखंड सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर भूषण ने मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला लिया. नक्सली कमांडर रह चुका भूषण यादव के खिलाफ अलग-अलग जिलों में 30 से अधिक मामले दर्ज हैं. 

झारखंड सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर भूषण ने मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला लिया. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

गुमला: पुलिस के लिए सिरदर्द बना इनामी नक्सली भूषण यादव ने सरेंडर कर दिया. भूषण यादव के ऊपर पुलिस ने 10 लाख का इनाम रखा था. झारखंड सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर भूषण ने मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला लिया. नक्सली कमांडर रह चुका भूषण यादव के खिलाफ अलग-अलग जिलों में 30 से अधिक मामले दर्ज हैं. 

1995 में भूषण यादव ने नक्सलियों के साथ काम करना शुरू कर दिया था. 1998 में भूषण को एरिया कमांडर बनाया गया और सरेंडर से पहले वो नक्सलियों का जोनल कमांडर था. झारखंड पुलिस के उपमहानिरीक्षक होमकर, गुमला उपायुक्त शशि रंजन और एसपी अंजनी कुमार झा की उपस्थिति में भूषण यादव ने आत्मसमर्पण किया. झारखंड पुलिस का मानना है कि भूषण के समर्पण से नक्सली गतिविधियों में कमी आएगी. दरअसल भूषण स्थानीय था और उसके समझाने पर स्थानीय लोग आसानी से नक्सली संगठन में शामिल हो जाते थे. 

 

उद्देश्य से भटक गया नक्सली संगठन- भूषण यादव
सरेंडर करने के बाद भूषण यादव ने कहा कि 'नक्सली नेता अपने उद्देश्य से भटक गए हैं, संगठन एवं दबे कुचले वर्गों को सहायता नहीं कर केवल अपने परिवार के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं. नक्सली नेता के बेटे बड़े स्कूल में पढ़ते हैं और शीर्ष स्तर के नेताओं के पास आलीशान मकान और बैंक बैलेंस है. नक्सली संगठन में महिलाओं और बच्चों का शोषण शीर्ष स्तर के नेता करते हैं, जिसके कारण उसे नक्सली बने रहने में ग्लानि महसूस हो रही थी और यही वजह है कि कई नक्सली समाज के मुख्यधारा में लौटने को तैयार हैं.'  

भूषण यादव पर 7 बार पुलिस पर जानलेवा हमला करने का आरोप है, साथ ही फायरिंग, हथियार लूट, बम विस्फोट जैसी घटनाओं में भी शामिल होने का आरोप है. 

भूषण यादव पर साल 2011 में गारू हमला में शामिल होने का आरोप है जिसमें 8 जवान शहीद हो गए थे. 2012 में भंडरिया हमले में भी भूषण यादव शामिल था जिसमें 13 जवान शहीद हुए थे. वहीं, साल 2013 में कटिया हमला में भी भूषण यादव शामिल था जिसमें 17 जवान शहीद हो गए थे.

पुलिस के मुताबिक सरेंडर से पहले वो बूढ़ा पहाड़ इलाके में सक्रिय था, लेकिन इसी बीच वह दस्ता छोड़कर फरार हो गया था. भूषण यादव के दस्ता छोड़कर भागने के बाद वह लगातार पुलिस के संपर्क में था. पुलिस को उम्मीद है कि भूषण के सरेंडर के बाद झारखंड में नक्सली कमजोर होंगे और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रेरित भी होंगे.  
--Sameer Bajpayi, News Desk