प्रवासी भारतीयों से मिले सुपर 30 के आनंद, देश में शिक्षा सुलभ बनाने का किया आग्रह
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प्रवासी भारतीयों से मिले सुपर 30 के आनंद, देश में शिक्षा सुलभ बनाने का किया आग्रह

आनंद ने मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के एक कथन का हवाला देते हुए कहा कि उनका मानना था, 'जीवन दूसरों के लिए हो तभी सार्थक होता है', इसलिए जरूरत है कि आपलोग भारतीय युवाओं की मदद करें.

 आनंद का मानना है कि शिक्षा में तकनीक का इस्तेमाल और ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए ही इस तरह के बदलाव संभव है.

पटना/सैनहोजे: सुपर 30 के संस्थापक गणितज्ञ आनंद कुमार ने अमेरिका और दुनिया भर में रहने वाले प्रवासी भारतीयों को अपनी मातृभूमि में शिक्षा को सुलभ बनाने के लिए योगदान देने की अपील करते हुए कहा कि आप लोगों के छोटे से योगदान से युवा पीढ़ी को कई फायदे मिल सकेंगे. 

आनंद ने कहा कि भारतीय विभिन्न क्षेत्रों में बेमिसाल काम कर रहे हैं और आने वाली पीढ़ी और समाज को देने के लिए उनके पास बहुत कुछ है जिससे भारत की आने वाली पीढ़ी में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. 

आनंद ने मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन के एक कथन का हवाला देते हुए कहा कि उनका मानना था, 'जीवन दूसरों के लिए हो तभी सार्थक होता है', इसलिए जरूरत है कि आपलोग भारतीय युवाओं की मदद करें.

सुपर 30 द्वारा रविवार को जारी एक बयान के अनुसार, कैलिफोर्निया के सैनहोजे शहर में 'इंडियन्स फॉर कलेक्टिव एक्शन' के गोल्डन जुबली समारोह में बोलते हुए आनंद ने कहा, "लोगों की आवश्यकताओं में परिवर्तन के कारण शिक्षा के क्षेत्र में भी तेजी से बदलाव हो रहे हैं. भारत में भी छात्रों को बड़े बदलाव की लालसा है लेकिन गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अभाव के कारण भारत में यह संभव नहीं हो पा रहा है."

आनंद का मानना है कि शिक्षा में तकनीक का इस्तेमाल और ऑनलाइन कक्षाओं के जरिए ही इस तरह के बदलाव संभव हैं. आनंद पर एक बायोपिक बन रही है जिसमे ऋतिक रौशन मुख्य भूमिका में हैं. सुपर 30 के माध्यम से आनंद कुमार किसी से बगैर कोई चंदा लिए अपने घर में हर वर्ष निर्धन परिवार 30 बच्चों को मुफ्त में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी करवाते हैं और पिछले 17 वषों में उनके द्वारा पढ़ाए गए सैकड़ों बच्चे आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफल हो चुके हैं.

भारत को प्रतिभाओं का देश बताते हुए आनंद ने कहा कि भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी न पहले थी और न अब है लेकिन गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और आधुनिक बदलाव की कमी के कारण छात्रों को मायूस होना पड़ता है. उन्होंने कहा, "आज तकनीक के माध्यम से इस कमी को दूर किया जा सकता है. यह हम अपने छोटे योगदान से कर सकते हैं."

आनंद ने सुपर 30 संस्थान की चर्चा करते हुए कहा, "मेरे छोटे से प्रयास से कई निर्धन परिवार के सदस्यों के चेहरे पर सफलता की मुस्कुराहट आई है. और अगर आपलोग भी इस तरह के किसी प्रयास में सहायता करेंगे तो आने वाला कल भारत का ही होगा."