याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ने अदालत को बताया कि बिहार सरकार के गृह विभाग ने 30 सितंबर 2013 को संकल्प जारी कर एक नए मुआवजे नीति की घोषणा की थी. इसमें अधिकतम मुआवजे की राशि ढाई लाख रुपए है.
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पटना: पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को बिहार की नीतीश कुमार (Nitish Kumar) सरकार से 4 हफ्ते में इस बाबत जवाब मांगा है कि क्या दंगा व आगजनी से नागरिकों के जान-माल के नुकसान पर राज्य सरकार जो मुआवजा देती है वह सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दिशा-निर्देश के आलोक में है या नहीं.
दरअसल, जस्टिस दिनेश कुमार सिंह व जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा की डबल बेंच ने आफताब आलम की जनहित याचिका को सुनते हुए उक्त आदेश दिया है. याचिकाकर्ता की तरफ से वकील ने अदालत को बताया कि बिहार सरकार के गृह विभाग ने 30 सितंबर 2013 को संकल्प जारी कर एक नए मुआवजे नीति की घोषणा की थी.
इसमें अधिकतम मुआवजे की राशि ढाई लाख रुपए है. उक्त राशि होने वाले नुकसान और पीड़ितों की जिदंगी को सुचारू बनाने के लिए पर्याप्त नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार बनाम आईआरसीटीसी (IRCTC) की कंपनी के मुकदमे में एक दिशा-निर्देश जारी किया था.
इसके तहत दंगा पीड़ित व्यक्ति को उसकी जिंदगी वापस पटरी पर लाने के लिए पर्याप्त मुआवजा देने का प्रावधान है. हाई कोर्ट ने गृह विभाग के प्रधान सचिव को इस मामले में जवाब देने का निर्देश देते हुए यह स्पष्ट करने को कहा है कि बिहार सरकार की मुआवजा देने की नीति सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश के कितना अनुरूप है? कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 4 हफ्ते बाद की तारीख निर्धारित की है.