AIS ने CM से लगाई गुहार, निजी शिक्षकों के वेतन के लिए बैंकों से दिलाएं ओवरड्राफ्ट
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AIS ने CM से लगाई गुहार, निजी शिक्षकों के वेतन के लिए बैंकों से दिलाएं ओवरड्राफ्ट

 एसोसिएशन ऑफ़ इंडिपेंडेंट स्कूल्स के अध्यक्ष डॉ सी बी सिंह ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है कि वो प्राइवेट स्कूलों के खाताधारी बैंकों को दो माह के वेतन के बराबर ब्याजरहित ओवरड्राफ्ट देने का निर्देश दें. 

अनेक विद्यालयों ने अपने बैंकों से ओवरड्राफ्ट देने की बात की है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पटना: एसोसिएशन ऑफ़ इंडिपेंडेंट स्कूल्स के अध्यक्ष डॉ सी बी सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से निवेदन किया है कि वो प्राइवेट स्कूलों के खाताधारी बैंकों को दो माह के वेतन के बराबर ब्याजरहित ओवरड्राफ्ट देने का निर्देश दें. लगभग सभी विद्यालयों ने फ़ी की आवक कम होने के बावज़ूद मार्च का वेतन किसी भी तरह दे दिया है, लेकिन उनके लामने अप्रैल का वेतन देने की विकट समस्या कुछ ही दिनों में आने वाली है. शुल्क आने की गति बेहद धीमी है और यह लगभग असम्भव ही दिखता है कि अप्रैल के वेतन के बराबर किसी एक भी स्कूल में फ़ी जमा हो पाएगा.

उन्होंने कहा है कि अनेक कार्यालय खुल चुके हैं, लेकिन प्राइवेट स्कूलों के कार्यालयों के खुलने की अनुमति अभी प्राप्त नहीं है. परिणामस्वरूप दूर-दराज के विद्यालयों में स्थिति अत्यधिक दयनीय हो चुकी है. इसलिए सरकार के द्वारा मात्र शिक्षण शुल्क लेने की अनुमति दी गई है किन्तु कुल एक चौथाई अभिभावक भी फी देने के लिए नहीं आ रहे हैं.

उन्होंने कहा कि अनेक विद्यालयों ने अपने बैंकों से ओवरड्राफ्ट देने की बात की है, लेकिन बैंकों ने लगभग मना कर दिया है. ऐसी स्थिति में एसोसिएशन प्रदेश के मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की निवेदन करता हूं. एसोसिएशन की तरफ से उन्होंने यह भरोसा दिलाता है कि इसी सत्र के दौरान दिसम्बर के पूर्व सभी विद्यालय पाई-पाई चुका देंगे.

एसोसिएशन के महामंत्री डॉ राजीव रंजन सिन्हा ने बताया कि हम सरकार से राहत पैकेज की मांग के पक्षधर नहीं हैं. हमारे अभिभावक देर-सबेर फी देंगी ही. हमारे अधिकांश अभिभावक सक्षम हैं लेकिन लॉकडाउन की परिस्थितियों के कारण वे फ़ी देने में असमर्थ हो रहे हैं. विद्यालय ऐसी विषम स्थिति में अभिभावकों से फ़ी वसूली के लिए बारम्बार निवेदन के बजाय बैंक से ओवरड्राफ्ट लेने हेतु प्राथमिकता देने को प्रस्तुत हैं.

उन्होंने आशंका व्यक्त की कि यदि प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों के वेतन की व्यवस्था ससमय नहीं की जाती है तो बिहार के लगभग पांच लाख परिवारों के सामने भुखमरी की विकट परिस्थिति आ सकती है.