रीता वर्मा ने कहा की जब संसद सत्र में विपक्षी पार्टी भी बाजपेयी के अभिभाषण को शांत होकर सुनते थे.
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धनबादः भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वजापेयी का निधन हो गया है. उन्होंने 16 अगस्त को नई दिल्ली स्थित एम्स में अंतिम सांस ली. अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से पूरा देश शोक में हैं. वहीं, कई राजनेता उनसे मिलने के लिए एम्स भी पहुंचे. साथ ही कई ऐसे नेता उन यादों को याद कर रहे हैं. जो कभी उनके साथ बितायी थी.
अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उनके मंत्रिमंडल में मंत्री रही धनबाद की पूर्व सांसद प्रोफेसर रीता वर्मा ने अपनी बीती यादें साझा करते हुए कहा कि परमाणु परीक्षण एक बोल्ड निर्णय था. और इसके बाद पुरे विश्व में भारत छा गया. उन्होंने कहा कि वाजपेयी की भूमिका हमेशा एक शिक्षक के रूप में होती थी. वह हमेशा सभी को काम सीखने के प्रयास में रहते थे.
रीता वर्मा ने कहा कि लालू लैंड से मैं संसद में गयी थी. लालू यादव को बोलचाल की भाषा के कारण वाजपेयी उन्हें भी इसी भाषा की समझते थे. लेकिन जब उन्होंने मेरी शुद्ध हिंदी बोलचाल भाषा को सुनी तो वो बेहद प्रभावित हुए. डॉ श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नहीं रहने के बाद अटल जी ही भारतीय जनता पार्टी के नइया को अकेले पार लगाने वाले नेता थे. बाद में लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी ने उनके इस कार्य को संभाला.
रीता वर्मा ने कहा की जब संसद सत्र में विपक्षी पार्टी भी वाजपेयी के अभिभाषण को शांत होकर सुनते थे. कोई कांग्रेसी यदि शोर गुल करते थे तो दूसरे कांग्रेसी उसे शांत कराकर बैठा देते थे. धनबाद के एसपी रहे स्वर्गीय रणधीर प्रसाद वर्मा की प्रतिमा के अनावरण के लिए जब रीता वर्मा उनके पास गयी थी. तब उन्होंने बिना समय गवाएं इस बात के लिए हामी भर दी थी.
उस समय वह प्रधानमत्री के पद पर आसीन नहीं थे. उन्हें हवाई जहाज से कोलकाता आना पड़ा था और फिर कोलकाता से ब्लैक डायमंड ट्रेन से 3 जनवरी 1994 को धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पहुंचकर उन्होंने प्रतिमा का अनावरण किया था. धनबाद पहुंचने में उन्हें काफी कष्ट हुआ था लेकिन अपने कष्ट को उन्होंने कभी जाहिर नहीं किया.