बिहार: दरभंगा लोकसभा पर खींचतान शुरू, कीर्ति आजाद महागठबंधन में तलाश रहे संभावना
लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है. वैसे-वैसे सियासी दलों में एक-एक सीट को लेकर खींचतान शुरू हो रही है. दरभंगा सीट को लेकर भी सियासी दल अपने-अपने जीत का दावा कर रहे हैं.
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शैलेंद्र, दरभंगा: लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है. वैसे-वैसे सियासी दलों में एक-एक सीट को लेकर खींचतान शुरू हो रही है. दरभंगा सीट को लेकर भी सियासी दल अपने-अपने जीत का दावा कर रहे हैं. दरभंगा की सीट पिछले 10 साल से बीजेपी के पास है. लेकिन इस बाहर बीजेपी सांसद कीर्ति आजाद बागी हो गए हैं. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी इस सीट को सहयोगी जेडीयू को दे सकती है.
इसलिए दरभंगा की लड़ाई दिलचस्प हो गई है. सांसद कीर्ति आजाद ने साफ कर दिया है कि वो दरभंगा छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे. कीर्ति आजाद महागठबंधन में संभावना तलाश रहे हैं. ऐसे में ये तय है कि चुनाव से पहले प्रत्याशी चुनाव में यहां जोर-आजमाइश तय है.
दरभंगा की सीट पर प्रत्याशियों की दावेदारी की जंग जारी है. सबसे ज्यादा प्रत्याशी इस बार महागठंबधन में नजर आ रहे हैं. हम प्रत्याशियों पर चर्चा करें, उससे पहले दरभंगा लोकसभा सीट पर एक नजर डाल लेते हैं. इस सीट के अंदर जो छह विधानसभा सीट आती हैं उनमें दरभंगा, दरभंगा ग्रामीण, बहादुरपुर, अलीनगर, बेनीपुर और गौराबौड़ाम सीटें शामिल हैं.
2009 और 2014 में भाजपा के टिकट पर कीर्ति आजाद इस सीट से चुनाव जीते हैं, लेकिन इस बार वो बागी हो चुके हैं. भाजपा से उन्हें निलंबित कर दिया गया है. ऐसे में उन्हें नया ठिकाना तलाशना होगा, जिसकी तलाश में वो लगे भी हैं. कह रहे हैं कि खरमास के बाद नये ठिकाने का खुलासा करूंगा, लेकिन एक बात तय है कि मैं दरभंगा से कहीं जानेवाला नहीं हैं.
मुकेश सहनी की दावेदारी से महागठबंधन में दावेदारी बढ़ गयी है. कांग्रेस में जाकर टिकट पाने का मंसूबा पाले सांसद कीर्ति आजाद की दावेदारी को भी धक्का लगा है. साथ ही दरभंगा के जरिये दिल्ली का रास्ता तय करने का मंसूबा रखे एए फातमी की राह में भी रोड़े दिख रहे हैं. ऐसे में महागठबंधन के नेताओं में इस गुत्थी को सुलझाना आसान नहीं होगा.
वहीं, एनडीए में इस सीट पर प्रत्याशी को लेकर महागठबंधन जैसी दावेदारी नहीं दिखती है. भाजपा ये सीट जदयू के लिए छोड़ सकती है, ऐसा माना जा रहा है और जदयू के खाते में ये सीट जाती है, तो सबसे मजबूत दावेदारी संजय झा की होगी, जो पहले भी इस सीट से अपना भाग्य आजमा चुके हैं.
दरभंगा की जंग में कौन बाजी मारेगा, ये कहना अभी जल्दबाजी होगी, लेकिन जिस तरह से जोर-आजमाइश का दौर शुरू हो गया है. उससे साफ है कि आनेवाले कुछ दिनों तक इस सीट को लेकर सस्पेंस बना रहेगा, जिससे दावेदारी और बयानबाजी का दौर जारी रहेगा. ऐसे में दरभंगा समेत पूरे बिहार के वोटरों को सियासी और जुबानी जंग का मजा मिलता रहेगा.