हाय रे शिक्षा व्यवस्था! किचन और बाथरूम में पढ़ाई करने को मजबूर नौनिहाल, मूलभूत सुविधाओं की है भारी कमी
बिहार की शिक्षा में सुधार की बात तो की जा रही है लगातार नए नए प्रयोग किये जा रहे हैं लेकिन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर की घोर कमी है. बेंच डेस्क के साथ कमरे की कमी है. भागलपुर के सबौर प्रखंड अंतर्गत चंदेरी में 1929 ईस्वी में स्थापित मध्य विद्यालय की बात ही अलग है.
भागलपुर: बिहार की शिक्षा में सुधार की बात तो की जा रही है लगातार नए नए प्रयोग किये जा रहे हैं लेकिन स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर की घोर कमी है. बेंच डेस्क के साथ कमरे की कमी है. भागलपुर के सबौर प्रखंड अंतर्गत चंदेरी में 1929 ईस्वी में स्थापित मध्य विद्यालय की बात ही अलग है. दरअसल यहां कमरे की कमी है. यहां 8 कक्षा तक के लिए महज तीन कमरे हैं. एक कमरे में किचन ,बाथरूम व छठी की कक्षा भी चलती है. वहीं पहली से पांचवीं तक कि कक्षा बरामदे से से लेकर स्कूल परिसर तक चलता है, लेकिन बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है.
वहीं, स्कूल के सामने रेल लाइन है, जहां से दर्जनों ट्रेनें गुजरती है. इस वजह से बच्चों की पढ़ाई सही से नहीं हो पाती है. ट्रेन गुजरने के दौरान पढ़ाई रोकनी पड़ती है. स्कूल के सामने बाउंड्रीवाल नहीं है, जिस वजह से शिक्षकों में अनहोनी का भी भय रहता है क्योकि छोटे छोटे बच्चे है और अगर गलती से बच्चे पटरी के पास गए तो अनहोनी हो सकती है.
इस स्कूल में 371 बच्चे नामित हैं. पांचवीं तीसरी और पहली कक्षा बरामदे पर नीचे बैठकर , दूसरी कक्षा प्रांगण में और चौथी कक्षा स्टेज पर चलती है. छठी, सातवीं ,आठवीं कक्षा के लिए रूम नहीं है. स्कूल में प्रिंसिपल ऑफिस है, बाथरूम और किचन है. छठी कक्षा में ही किचन, बाथरूम और नल लगे हुए हैं. वहीं, बरामदे पर प्रिंसिपल कार्यालय चलता है.
बच्चों ने बताया कि काफी परेशानी होती है जब ट्रेन गुजरती है काफी शोर होता है. इससे पढ़ाई पर भी इसका असर पड़ा है. इसको लेकर प्रिंसिपल ने कहा कि लगातार ट्रेनो के गुजरने की वजह से बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होती है. यहां कमरे की कमी है, इस वजह से भी बच्चों को बाहर बिठाना पड़ता है. ऐसे में अब ये सवाल उठना लाजिमी है कि मूलभूत सुविधा ना होने के बाद भी बच्चे कैसे अपने भविष्य का निर्माण करेंगे.