Bhagalpur News: डेढ़ साल की इंजरी के बाद खुशी ने जीता गोल्ड मेडल, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बजा भागलपुर की बेटी की डंका
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Bhagalpur News: डेढ़ साल की इंजरी के बाद खुशी ने जीता गोल्ड मेडल, खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बजा भागलपुर की बेटी की डंका

Khelo India Youth Games 2025: भागलपुर की खुशी यादव ने जिसने गरीबी और तमाम परेशानियों के बावजूद खेलो इंडिया यूथ गेम्स में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमा लिया. खुशी की प्रतिभा को देख स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के सदस्यों के साथ-साथ सभी लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली.

भागलपुर की खुशी ने जीता गोल्ड मेडल
भागलपुर की खुशी ने जीता गोल्ड मेडल

Khelo India Youth Games 2025: कहते हैं जब जज्बा ऊंची उड़ान का हो तो आसमान छोटा लगता है. जब ललक कुछ कर दिखाने का हो, तो रास्ते मे आ रही बाधाएं भी पार हो जाती है. इस पंक्ति को चरितार्थ किया है भागलपुर की खुशी यादव ने जिसने गरीबी और तमाम परेशानियों के बावजूद खेलो इंडिया यूथ गेम्स में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमा लिया. जी हां हम बात कर रहे हैं भागलपुर के शाहजंगी नवटोलिया के रहने वाले सुनील यादव की बेटी खुशी यादव की, जिसके जुनून ने सबको चौंका दिया. खुशी ने वाकई कर दिखाया कुछ ऐसा कि स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के सदस्यों के साथ-साथ सभी लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली.

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दरअसल खुशी अपने ही गांव में कोच जितेंद्र मणि से ऊंची कूद की ट्रेनिंग लिया करती थी, लेकिन कोच ने उसे हर विधा में माहिर बना दिया. खुशी का सेलेक्शन स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया सिलीगुड़ी में दो साल पहले हुआ था. इसके पहले वह तरंग प्रतियोगिता में ऊंची कूद के दौरान घायल हो गयी थी. जांघ के ऊपर हड्डी क्रैक हो गया था, लेकिन साई के प्रभारी वसीम अहमद ने कोलकाता में खुशी का इलाज करवाया. 18 महीने तक इलाज हुआ. जिस तरह चोट लगी थी ऐसे हालात में 90 प्रतिशत ठीक होने के चांसेस नहीं होते है, लेकिन खुशी ने अपने जुनून और जज्बे के आगे उस दर्द को भी मिटा दिया. खुशी लॉन्ग जम्प नहीं कर सकती थी. 

इसके बाद 5 महीने पहले उसने लॉन्ग जम्प को बदल बाधा दौड़ को अपनाया जब खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भागीदारी हुई. तो स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ने उसे उस काबिल बनाया कि वह दौड़ सकती थी. खुशी ने पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में दो हजार मीटर के बाधा दौड़ में हिस्सा लिया, जहां वह सारे बाधाओं को पार कर सर्वोच्च स्थान पर पहुंच गई. इतना ही नहीं बाधाओं से भरी लंबी दौड़ के बावजूद भी खुशी 20 मिनट में ही 400 गुना 400 मीटर रिले दौड़ के लिए भी तैयार हो गई. उसमें उसने 5वां स्थान प्राप्त किया. निर्णायक, कोच, खिलाड़ी खुशी के जज्बे से आश्यर्च में थे. खुशी के पिता मजदूरी करके घर चलाते हैं. कई तरह की परेशानियों को झेलते हुए खुशी आगे बढ़ रही है लक्ष्य ओलंपिक खेलने और इंटरनेशनल गेम्स खेलने और गोल्ड जितने का है. भागलपुर आने पर खुशी का जोरदार स्वागत हुआ. कोच जितेंद्र मणि ने खेत की पगडंडियों से सफलता की पहली सीढ़ी तक पहुंचा दिया. माता पिता इस उपलब्धि पर फुले नहीं समा रहे है.

इनपुट- अश्वनी कुमार

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