बिहार: चिराग के लिए 'अग्निन परीक्षा' से कम नहीं चुनाव, पिता की कामयाबी दोहराना होगी चुनौती
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बिहार: चिराग के लिए 'अग्निन परीक्षा' से कम नहीं चुनाव, पिता की कामयाबी दोहराना होगी चुनौती

एलजेपी का मानना है कि रामविलास पासवान जिस तरह से समाज के हर तबके की बेहतरी के लिए काम करते थे, इससे पार्टी को लाभ मिलेगा और उनके व्यक्तित्व का प्रभाव पार्टी को आगे ले जाएगा. 

चिराग के लिए 'अग्निन परीक्षा' से कम नहीं चुनाव. (फाइल फोटो)

पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन से बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhansabha Chunav 2020) में एलजेपी को सहनुभूति का लाभ तो मिलेगा ही, साथ ही तीसरे विकल्प के तौर पर एलजेपी मजबूत होकर उभरेगी. पार्टी का मानना है कि रामविलास पासवान जिस तरह से समाज के हर तबके की बेहतरी के लिए काम करते थे, इससे पार्टी को लाभ मिलेगा और उनके व्यक्तित्व का प्रभाव पार्टी को आगे ले जाएगा. वहीं, राजनैतिक विश्लेषक के अनुसार, रामविलास पासवान के निधन से प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर एनडीए (NDA) को ही लाभ पहुंचेगा

दरअसल, चुनावी समर में राजनैतिक पार्टियों ने जोर आजमाइस शुरू ही किया था. प्रथम चरण का नामांकन खत्म हुआ कि केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन की खबर आ गई और राजनैतिक गलियारों में शोक की लहर दौर गई. पार्टी के प्रधान महासचिव शाहनवाज अहमद कैफी का कहना है कि फिलहाल एलजेपी परिवार शोक में डूबा है. लेकिन जिस तरह का व्यक्तित्व रामविलास पासवान का था और समाज के सभी तबके को साथ लेकर चलने की उनकी जो सोच थी, इस वजह से न सिर्फ सहनुभूति का लाभ पार्टी को मिलेगा, बल्कि उनके व्यक्तित्व के प्रभाव से एलजेपी इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी.

मौजूदा हो रहे विधानसभा चुनाव में महागठबंधन और एनडीए दोनों के सामजिक समीकरण में बदलाव आया है और इस कड़ी में एलजेपी ने एक ईंट रखी है. बीजेपी के तो वह साथ है लेकिन जेडीयू से उसके बगावती तेवर नए समीकरण का रास्ता खोल रहा है. ऐसे में राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिस तरह से एलजेपी ने एनडीए का साथ छोड़े बिना अपना रुख अलग करके जेडीयू पर निशाना साधा है. इसका लाभ एलजेपी को वैसे एंटी इंकम्बेंसी वाले वोटरों का मिलेगा जो जेडीयू से नाराजगी रखते हैं और यह वोट आरजेडी के खाते में जा सकता था ,जिसे अब एलजेपी के तौर पर विकल्प मिल गया है.

एलजेपी को इस चुनाव में खोने को कुछ भी नहीं है. मौजूदा समय में पार्टी के मात्र दो विधायक विधानसभा में हैं. ऐसे में यदि एनडीए के साथ पहले वाले स्वरुप में पार्टी चुनाव लड़ती तो संख्या के हिसाब से ज्यादा सीटों पर जीत की गुंजाइस नहीं थी. इस नए रुख से पार्टी एक ओर जहां ज्यादा कार्यकर्ताओं और उम्मीदवारों को टिकट दे पा रही हैं. वहीं, अपने आप को आकलन करने का मौका भी एलजेपी को मिलेगा. साथ ही ज्याद सीटों पर चुनाव लड़ने से जीत की प्रतिशत भी ज्यादा होगी और यदि एलजेपी अपने मिशन बैर नहीं और नीतीश की खैर नहीं में सफल हो जाती है तो चिराग पासवान का कद इस चुनाव से ही बढ़ जएगा. अन्यथा दूसरी परिश्थिति में पार्टी को खोने के लिए कुछ भी नहीं है. लिहाजा एलजेपी के लिए भी यह चुनाव दिलचस्प है.