कोरोना को लेकर 17 अप्रैल को बिहार में सर्वदलीय बैठक, क्या वायरस पर 'शनि' पड़ेगा भारी?
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कोरोना को लेकर 17 अप्रैल को बिहार में सर्वदलीय बैठक, क्या वायरस पर 'शनि' पड़ेगा भारी?

Bihar Corona News: चिर-प्रतिक्षित बैठक को लेकर जो सबसे बड़ी चुनौती है, वो ये कि दोनों ही पक्ष कहीं पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो जाएं. क्योंकि वर्तमान में हालात ऐसे ही लग रहे हैं. 

 

कोरोना को लेकर 17 अप्रैल को बिहार में सर्वदलीय बैठक.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Patna: लंबे समय से जिसका इंतजार था, वो आखिरकार अब होने जा रहा है. शनिवार, 17 अप्रैल को बिहार में कोरोना वायरस से निपटने को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है. ये बैठक राज्यपाल फागू चौहान की अध्यक्षता में होगी, जिसमें सत्तापक्ष और विपक्ष के तमाम सियासी दल शिरकत करेंगे.

सर्वदलीय बैठक का सीधा मतलब होता है कि पूरी सियासी बिरादरी मिलकर इस चुनौती से निपटने की रणनीति बनाएगी. लेकिन मीटिंग से पहले ही सवाल उठने लगे हैं कि-

  1. क्या सकारात्मक सोच के साथ बैठक में शामल होंगे सभी दल?
  2. क्या विपक्ष कुछ अच्छे सुझाव भी देगा या सिर्फ सरकार पर हमला करेगा?
  3. विपक्ष जब सरकार की कमियां गिनाएगा, तो क्या सरकार उसे स्वीकार कर आगे बढ़ेगी या टकराव की स्थिति बनेगी?

ऐसे और भी गंभीर सवाल हैं जो 17 अप्रैल की बैठक से पहले उठ रहे हैं.

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बैठक से पहले पूर्वाग्रह से ग्रसित न हों दोनों पक्ष 
चिर-प्रतिक्षित बैठक को लेकर जो सबसे बड़ी चुनौती है, वो ये कि दोनों ही पक्ष कहीं पूर्वाग्रह से ग्रसित न हो जाएं. क्योंकि वर्तमान में हालात ऐसे ही लग रहे हैं. बैठक को लेकर जो पहला कदम आगे बढ़ना है, वो ये कि सरकार का अभी तक का रोडमैप क्या रहा है. इसी रोडमैप पर सरकार आगे बढ़े या उसे बदलने की जरूरत है. इसे लेकर सरकार और विपक्ष पूरी तरह बंटे हुए हैं. या यूं कहें कि दोनों बिलकुल विपरीत दिशा में देख रहे हैं.

अभी तक के रोडमैप पर सरकार का तर्क है कि पिछले साल Corona की पहली लहर से बेहतर अंदाज में निपटा गया है और संक्रमण को रोकने में सरकार कामयाब रही है. सरकार कह रही है कि टेस्टिंग से लेकर क्वॉरंटीन करने तक, इलाज से लेकर जन-जागरुकता तक सरकार ने बेहतरीन काम किया है.

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लेकिन विपक्ष की राय बिलकुल जुदा है. विपक्ष का मानना है कि सरकार ने कोरोना के माम ले में घुटने टेक दिए. बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भी विपक्ष हमलावर है और इसे देशभर में फजीहत कराने वाला करार दे रहा है. कोरोना के शुरुआती दौर में लोगों का सड़कों पर भटकना, अस्पताल के बाहर जांच कराने के लिए घंटों इंतजार करना, मरीजों का खुद ऑक्सीजन सिलिंडर लेकर चलना. ये सारी तस्वीरें विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा है. इसलिए वो अबतक के रोडमैप से खुश नहीं है और यही बैठक में एक बड़ी चुनौती बनने वाला है.

कोरोना जांच में फर्जीवाड़ा और लाखों लोगों की घर वापसी भी बड़ा मुद्दा 
विपक्ष इस बैठक में ये मुद्दा उठाने के लिए भी कमर कस चुका है कि पिछले साल कोरोना जांच के मामले में जो फर्जीवाड़ा हुआ था, वो इस बार नहीं होना चाहिए. ये मुद्दा सरकार के लिए फजीहत कराने वाला है. क्योंकि इस बार भी स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ही हैं. जो उस दौरान भी थे और कोरोना जांच इस बार भी बड़ी संख्या में होनी है. क्योंकि संक्रमितों का आंकड़ा देश में इस वक्त पिछले साल से भी ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है.

विपक्ष ने लॉकडाउन के दौरान पिछले साल लाखों लोगों के दूसरे प्रदेशों से लौटने को भी मुद्दा बनाने की ठान ली है. क्योंकि हालात इस बार भी वही हैं और एक बार फिर Lockdown की आशंका में लोग अपने घर लौटने लगे हैं. ऐसे में सरकार को इस सवाल से भी दो-चार होना पड़ेगा.

कोरोना पर 'शनि' की होगी साढ़े साती या राहु-केतु की तरह भिड़ जाएंगे सत्तापक्ष और विपक्ष?
देर से ही सही, लेकिन सर्वदलीय बैठक की तारीख तय हो चुकी है. ऐसे में अगले कुछ दिनों में दोनों पक्षों को ब्लू प्रिंट तैयार करना होगा. जिसे सामने रखकर वो ये बता सकें कि महामारी को लेकर वो गंभीर हैं और कोई सियासी चक्रव्यूह बनाने की तैयारी में नहीं लगे हैं. जिसमें सिर्फ विरोधियों को घेरना मकसद हो.

सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों को ये तय करना है कि मिलकर कोरोना का खात्मा करेंगे या आपस में भिड़कर एक बार फिर गंभीर मसले को हल्का बना देंगे.