बिहारः प्रदूषण के मामले में पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर, 18 को आएगा फैसला
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बिहारः प्रदूषण के मामले में पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर, 18 को आएगा फैसला

नवंबर महीने में पॉल्यूशन का ग्राफ इस कदर बढ़ा है कि राजधानी पटना और मुजफ्फरपुर देश के टॉप थ्री प्रदूषित शहरों में शामिल किए गए थे. 

बिहार के पटना और मुजफ्फरपुर शहर में सबसे अधिक प्रदूषण.

आशुतोष चंद्रा/पटनाः बिहार में भी पॉल्यूशन बड़ी समस्या बनती जा रही है. आलम यह है कि बीते नवंबर महीने में पॉल्यूशन का ग्राफ इस कदर बढ़ा है कि राजधानी पटना और मुजफ्फरपुर देश के टॉप थ्री प्रदूषित शहरों में शामिल किए गए थे. शहर के लोगों को साफ हवा मिल सके इसके लिए मामला पटना हाईकोर्ट तक जा पहुंच चुका है. मामले पर दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं. अब राजधानी पटना के लोगों को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा मिल सकेगी या नहीं इसपर कोर्ट में फैसला 18 दिसंबर को लेगी.

बिहार के दो बड़े शहर भीषण प्रदूषण की चपेट में आ गए हैं. एक राजधानी पटना है और दूसरा है मुजफ्फरपुर, दोनों ही शहरों में प्रदूषण का आलम यह है कि बीते 22 से 26 नवंबर के बीच दोनों ही शहर देश के टॉप थ्री पॉल्यूटेड सिटीज में शामिल हो गए. प्रदूषण का यह पैमाना हवा में बढ़ते धुलकन को लेकर माना गया है.

दरअसल, एयर क्वालिटी इंडेक्स के पांच अहम पहलू माने जाते हैं. इनमें प्रदूषण का पैमाना SOX, NOX, ओजोन, बेंजीन, और धुलकण के जरिय मापा जाता है. पटना और मुजफ्फरपुर में धुलकण का ग्राफ काफी ज्यादा है. 

22 नवंबर को जहां पटना में धुलकण का स्तर 370 पीएम2 था. वहीं, 26 नवंबर को बढकर ये 398 पीएम2 हो गया. जबकि मुजफ्फरपुर में धुलकण का स्तर पटना से भी ज्यादा 434 पीएम2 पाया गया. जनहित याचिका दायर करनेवाले वकील सर्वदेव सिंह कहते हैं पटना में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर न तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सजग दिख रहा है और न ही प्रशासन. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर आम आदमी को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा मिलेगी तो कैसे. 

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष एके घोष भी मानते हैं कि धुलकण को लेकर राजधानी पटना और मुजफ्फरपुर में समस्या है. सरकार और बोर्ड ने मिलकर इस समस्या के समाधान के लिए शार्ट टर्म और लांग टर्म प्लान तैयार किया है. सरकार की ओर से प्रदूषण नियंत्रण के लिए इंटर डिपार्टमेंटल कमेटी का गठन किया जा चुका है. जिसमें भवन निर्माण विभाग, परिवहन विभाग, नगर निगम और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को शामिल किया गया है. 

भवन निर्माण विभाग भवनों के निर्माण में नियमों की हो रही अनदेखी पर निगरानी रखेंगे. वहीं परिवहन विभाग पुराने जर्जर गाडियों पर नकेल कसने के साथ साथ पॉल्यून जांच केन्द्र की निगरानी करेंगे. जबकि नगर निगम सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर ध्यान देगा और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पूरी गितिविधी की मॉनिटरिंग करेगा. 

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर प्रदूषित शहरों के जिलाधिकारियों को सडकों पर पानी के छिड़काव का निर्देश दिया जा चुका है. साथ ही पटना और मुजफ्फरपुर में नये एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सेंटर बनाने की तैयारी शुरु भी शुरु की जा चुकी है. बोर्ड का दावा है कि आनेवाले छह महीनें में हालात में बदलाव दिखने लगेगा. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि स्वच्छ हवा को लेकर 18 दिसंबर को होनी वाली सुनवाई में कोर्ट बोर्ड और सरकार की तैयारियों से संतुष्ट हो पाता है या नहीं.