एनएमसी बिल के विरोध में बिहार के पीएमसीएच जूनियर डॉक्टरों ने भी समर्थन किया है. पटना एम्स, आईजीआईएमएस के बाद अब पीएमसीच के जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल पर चले गए हैं.
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पटनाः केंद्र सरकार के एनएमसी बिल के विरोध में बिहार के पीएमसीएच जूनियर डॉक्टरों ने भी समर्थन किया है. पटना एम्स, आईजीआईएमएस के बाद अब पीएमसीच के जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल पर चले गए हैं. और एनएमसी बिल का विरोध कर रहे हैं. वहीं, हड़ताल होने से मरीजों को काफी दिक्कतें हो रही है. साथ ही अब इस मामले में बिहार में सियासत भी शुरू हो गई है.
एनएमसी बिल के विरोध में डाक्टरों की स्ट्राईक ने मरीजों की परेशानी बढ़ा दी है. पहले पटना एम्स फिर पटना आईजीआईएमएस और अब पीएमसीएच के भी जूनियर डाक्टर स्ट्राईक पर चले गये हैं. पीएमसीएच में तो इमरजेंसी व्यवस्था को भी बाधित कर दिया गया है. जिसके कारण मरीजों का ईलाज भगवान भरोसे हो गया है.
कांग्रेस ने डाक्टरों के आंदोलन का समर्थन किया है. बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा है कि सरकार की मनसा सही नहीं है. अगर सरकार की मनसा सही होती तो हालात नहीं बिगडते. सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए इस तरह के बिल ला रही है जो न तो आमलोगों के हित में है और न ही डाक्टरों के हित में है. यही वजह है कि इसका विरोध हो रहा है. जो आमलोगों की परेशानी का सबब बना हुआ है.
इधर जेडीयू ने अप्रत्यक्ष तौर पर डाक्टरों की नाराजगी को सही ठहराया है. जेडीयू प्रवक्ता डॉ सुनील ने कहा है कि एनएमसी बिल सही है. एमसीआई में बढ़ते भ्रष्टाचार के खिलाफ इस बिल को लाया गया है. लेकिन सरकार को कई बिंदुओं पर डाक्टरों और मेडिकल स्टूडेंट्स का भरोसा जीतना होगा. क्योंकि, डाक्टरों के बीच बिल को लेकर काफी भ्रम की स्थिती है जिसे दूर करने की जरुरत है.
आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने मरीजों के हित को ध्यान में रखते हुए डाक्टरों को स्ट्राईक खत्म करने की सलाह दी है. आरजेडी नेता ने कहा है कि बिल संसद से पास हो चुका है. अब इस तरह के आंदोलन का कोई मतलब नहीं है. डाक्टरों को अब सही प्लेटफार्म पर अपनी बात रखनी चाहिए. वैसे भी बिल में कई अच्छी चीजें हैं जिससे इंकार नहीं किया जा सकता.
वहीं, बीजेपी ने एनएमसी बिल को लेकर डाक्टरों को गलतफहमी नहीं पालने की सलाह दी है. बीजेपी प्रवक्ता नवल यादव ने कहा है कि सरकार की कोशिश है कि झोलाछाप डाक्टरों को भी प्रशिक्षित कर ग्रामीण सुदुर इलाकों में उन्हें ईलाज करने के लायक बना दिया जाए. इसमें बुराई क्या है. ऐसे छोटे डाक्टरों से एमबीबीएस डाक्टरों को डरने की जरुरत नहीं. उनकी अहमियत कभी कम नहीं होगी. हॉस्पीटल में कंपाउन्डर नर्स भी ईलाज करते हैं तो क्या इससे डाक्टरों की अहमियत कम हो जाती है. डाक्टरों को समझना होगा कि ये देश झोला छाप चिकित्सा व्यवस्था से ही आगे बढ़ कर यहां तक पहुंचा है.
पीएमसीएच जैसे हॉस्पीटल में एक दिन में लगभग 40 से 50 ऑपरेशन होते हैं. जबकि ओपी़डी में अपना ईलाज करवाने लगभग 3 हजार मरीज हर दिन पहुंचते हैं. ऐसे में डाक्टरों की हड़ताल आमलोगों पर किसी बिजली गिरने से कम नहीं है. वहीं, अब सवाल यह उठ रहा है कि जब संसद में बिल पास हो चुका है तो ऐसे में इस हड़ताल के जरिये डॉक्टर सरकार पर कितना और कब तक दवाब बना पाएंगे. क्योंकि, सवाल हर दिन हजारों मरीजों की जान का भी है.