बिहार: थाने में जब्त की गई मात्रा से ज्यादा निकली शराब, दरोगा गिरफ्तार
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बिहार: थाने में जब्त की गई मात्रा से ज्यादा निकली शराब, दरोगा गिरफ्तार

जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि रेड मे जो शराब बरामद की जाती थी. उससे कम शराब दर्शाया जाती थी और बाकी शराब बेच दी जाती थी.

मामले पर एसपी सीतामढ़ी अनिल कुमार ने कहा कि शराब को लेकर शिकायत मिली थी. पटना से जांच टीम ने आकर कार्रवाई की.

कृष्णदेव कुमार/पटना: बिहार में शराब बंदी के सपने को पुलिस प्रशासन ही पलीता लगाने लगे तो सवाल उठना लाजमी है. दरअसल, एकबार फिर बिहार के सीतामढ़ी जिले के थाने से शराब गायब हो गई है. मामला सीतामढ़ी के नगर थाना पुलिस का है, जहां पर पुलिस अधिकारियों पर शराब बेचने का आरोप लगा है. प्रदेश के मुखिया सीएम नीतीश कुमार के पास मामला पहुंचने पर जांच टीम बनाई गई है. सीतामढ़ी में जांच टीम ने पाया कि थाने में जब्त की गई मात्रा से ज्यादा शराब मालखाने में हैं. इतना ही नहीं जब टीम थाने पहुंची तो, उसे मालखाने की चाभी तक नही दी गई. इसके बाद टीम के सदस्यों ने कारीगर को बुलाकर मालखाने के ताले को तुड़वाया.

जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि रेड मे जो शराब बरामद की जाती थी. उससे कम शराब दर्शाया जाती थी और बाकी शराब बेच दी जाती थी. इस मामले मे जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की गई, जिसमें सीतामढ़ी के नगर कोतवाल सुबोध कुमार मिश्रा और दारोगा प्रमोद कुमार को सस्पेंड कर दिया गया. मामले को लेकर तिरहूत रेंज के आईजी के निर्देश पर थाने मे एफआईआर दर्ज की गई है और दारोगा प्रमोद कुमार को गिरफ्तार कर उसे जेल भेज दिया गया है.

मामले पर एसपी सीतामढ़ी अनिल कुमार ने कहा कि शराब को लेकर शिकायत मिली थी. पटना से जांच टीम ने आकर कार्रवाई की. शिकायत के अनुसार रजिस्टर से बरामद शराब की मात्रा का मिलान किया गया. जिसमें मात्रा से अधिक शराब मालखाने में पाई गई. 

गौरतलब है कि अप्रैल, 2016 को बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू हुई थी. शुरुआती कानून में जो सजा का प्रावधान था उसे देखते हुए शराबबंदी कानून को पहले के मुकाबले काफी हद तक नरम किया गया. पहली बार शराब पीने पर पकड़े जाने की स्थिति में आरोपित पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा या फिर उसे तीन महीने जेल की सजा काटनी होगी. यही नहीं, पहले इस कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए जमानत का प्रावधान नहीं था लेकिन, अब इस कानून में जमानत का विकल्प जोड़ दिया गया है. हालांकि, दूसरी बार इस कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए एक लाख रुपये के जुर्माने और पांच साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

संशोधन से पहले यदि किसी भवन से शराब बरामद होती थी तो, उस भवन को जब्त करने का प्रावधान था. लेकिन अब इसे खत्म कर दिया गया. इस कानून की वजह से निर्दोष लोगों को सजा न भुगतनी पड़े इसीलिए इसमें संशोधन करते हुए कुछ प्रावधानों में ढील दी गई है.

अगस्त 2016 में ही गोपालगंज में ज़हरीली शराब पीने से कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई थी. बिहार में शराबबंदी क़ानून के तहत अब तक कुल 116,670 मामले दर्ज हुए हैं और इस सिलसिले में 161,415 लोगों को गिरफ़्तार किया गया. इनमें से 13214 लोगों पर शराब का अवैध व्यापार कर रहे गिरोहों से जुड़े होने का आरोप है. शराबबंदी के इन तीन सालों की अवधि में कुल 50,63,175 लीटर से ज्यादा शराब बरामद की जा चुकी है.