बिहार पुलिस मुख्यालय का माफीनामा, ADG के पत्र को लिया गया वापस, सुधारी गई भूल
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बिहार पुलिस मुख्यालय का माफीनामा, ADG के पत्र को लिया गया वापस, सुधारी गई भूल

 एडीजी अमित कुमार ने सभी डीएम, एसपी और रेल एसपी को पत्र लिखकर कहा था कि भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों के आने से राज्य में अपराध की घटनाएं बढ़ सकती है. लेकिन अब बिहार पुलिस मुख्यालय ने बैकफुट पर आकर भूल सुधार ली है. 

बिहार पुलिस मुख्यालय ने बैकफुट पर आकर भूल सुधार ली है.(फाइल फोटो)

पटना: बिहार में प्रवासी श्रमिकों का मुद्दा इन दिनों गरमाया हुआ है और इस बीच प्रवासी श्रमिकों को लेकर बिहार के विधि व्यवस्था एडीजी अमित कुमार ने सभी डीएम, एसपी और रेल एसपी को पत्र लिखकर कहा था कि भारी संख्या में प्रवासी मजदूरों के आने से राज्य में अपराध की घटनाएं बढ़ सकती है. लेकिन अब बिहार पुलिस मुख्यालय ने बैकफुट पर आकर भूल सुधार ली है. 

बिहार पुलिस मुख्यालय विधि व्यवस्था विभाग ने एक और पत्र जारी किया है. एडीजी अमित कुमार ने पत्र में लिखा है कि बिहारी प्रवासी मजदूरों को भारी संख्या में आमद के संबंध में प्रासंगिक पत्र भूलवश निर्गत हुआ है.

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दरअसल, एडीजी अमित कुमार ने पत्र में लिखा था, 'बिहार में भारी संख्या में स्थानीय नागरिकों का आगमन हुआ है जो अन्य राज्य में श्रमिक के रूप में काम कर रहे थे. वो फिलहाल गंभीर आर्थिक चुनौतियों के कारण सभी तनावग्रस्त हैं. सरकार की अथक कोशिशों के बाद भी राज्य के अंदर सभी को वांछित रोजगार मिलने की संभावना कम है. इसलिए वो अनैतिक और कानून के खिलाफ गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं.'

कार्य योजना बनाने की कही थी बात
साथ ही एडीजी ने स्थानीय परिदृश्य को देखते हुए कार्य योजना बनाने की बात भी कही थी. एडीजी अमित कुमार की चिट्ठी से कई सवाल भी खड़े हो रहे थे कि क्या अप्रवासी मजदूर चोर, डकैत या लुटेरे हैं या राज्य सरकार इन्हें रोजगार देने में वाकई असमर्थ होगी.

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डीजीपी ने भी दिया बयान
हालांकि, इस मुद्दे पर बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने भी बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि सरकार का इस पत्र से कोई लेना-देना नहीं है और ये पत्र भूलवश निर्गत हुआ था, जिसे वापस लिया जा चुका है. डीजीपी ने कहा कि इसमें सरकार कहीं नहीं है. उन्होंने कहा कि एडीजी लॉ एण्ड ऑर्डर अमित कुमार के हवाले से एक चिट्ठी निकल गई थी. पुलिस मुख्यालय में कई सोर्स से सूचनाएं आती रहती हैं. ऐसी ही एक सूचना को पत्र के रुप में सर्कुलेट कर दिया, लेकिन जैसे ही महसूस हुआ कि गलती हो गई है तो उस चिट्ठी को वापस ले लिया गया है. जिस पर अब चर्चा करने का कोई मतलब नहीं है.