बिहार: आरक्षण पर पार्टियों का कुछ ऐसा रहा रिएक्शन, किसी ने जताई खुशी तो किसी ने साधा निशाना
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बिहार: आरक्षण पर पार्टियों का कुछ ऐसा रहा रिएक्शन, किसी ने जताई खुशी तो किसी ने साधा निशाना

 इस विधेयक को कल ही संसद में पेश किया जाएगा. सवर्णों को आरक्षण के मामले में हर किसी की खासकर बिहार में अलग-अलग राय है. 

पटना: सोमवार को मोदी सरकार ने सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया है. लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इसे सरकार का मास्टर स्ट्रोक भी माना जा रहा है. इस विधेयक को कल ही संसद में पेश किया जाएगा. सवर्णों को आरक्षण के मामले में हर किसी की खासकर बिहार में अलग-अलग राय है. 

सवर्णों को आरक्षण के मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने कहा है कि मेरा मानना है कि आरक्षण की शुरुआत समाज में दबे हुए लोगों के लिए हुई थी जिनके साथ बुरा व्यवहार और छुआछूत किया जाता था. आरक्षण आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए नहीं की गई थी. आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए तो नरेंद्र मोदी को 15-15 लाख हर किसी के खाते में डाल दीजिए. सरकार को रोजगार देना चाहिए. जातिगत जनगणना को भी लोगों के सामने रखना चाहिए था.

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वहीं एलजेपी नेता चिराग पासवान ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है और लोजपा पहली पार्टी थी जिसने मांग की और कहा कि सवर्णों में जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं उन्हें भी आरक्षण दिया जाए. आरक्षण की असल ढांचा को बरकरार रखते हुए यह फैसला लिया गया है. हमने 15% आरक्षण की मांग की थी लेकिन हम सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं. 

वहीं, कांग्रेस नेता प्रेमचंद मिश्रा ने कहा है कि यह एक छलावा है. आरक्षण संविधान के प्रावधानों के तहत दिया जाएगा ना कि कैबिनेट का फैसला होगा. ऐसा आरक्षण नरसिम्हा राव पीएम थे तब दिया गया था. अब जब चुनाव सिर पर है तब यह फैसला लिया गया है. अब लॉ एंड जज बेंच के सदस्यों ने इसे खारिज कर दिया था. 

आपको बता दें कि जिनका आठ लाख सलाना से कम आमदनी, 5 हेक्टेयर से कम खेती की जमीन है उन्हें आरक्षण दिया जाएगा. 1000 वर्ग फूट से कम का मकान है. कस्हों में 200 गज जमीन वालों को आरक्षण नहीं मिलेगा और शहरों में 100 गज जमीन वालों को आरक्षण नहीं दिया जाएगा. 

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