Bihar Special Armed Police Bill 2021: विधेयक में ये प्रावधान है कि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी प्रतिष्ठान की सुरक्षा की जवाबदेही होने पर बिना वारंट और बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के किसी भी ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है जो उनके काम में बाधा डाल रहा हो या बाधा डालने का प्रयास कर रहा हो.
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Patna: मंगलवार को बिहार विधानसभा में विपक्ष के तरफ से जबरदस्त हंगामा और शोर-शराबे के बीच बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 ( Bihar Special Armed Police Bill 2021) पास हो गया. लेकिन इस बिल को पास करवाने के दौरान सदन की मर्यादा बार-बार भंग हुई. पक्ष-विपक्ष ने मिलकर लोकतंत्र के मंदिर को शर्मसार कर दिया. विपक्ष की तरफ से नीतीश कुमार पर पुलिस को गुंडा बनाने का आरोप लगाया गया. विपक्षी पार्टीयों ने बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 को एक काला कानून बताया. विपक्षी पार्टीयों का मानना है कि इस बिल के आने के बाद पुलिस निरंकुश और बर्बर हो जाएगी. बिल को पास करने से रोकने के लिए विपक्षी विधायकों का घंटों सदन के अंदर और बाहर तमाशा चला.
अब जरा नजर डालते हैं कि आखिर विधेयक में ऐसा क्या है जिसका विरोध विपक्ष कर रहा है?
बिना वारंट गिरफ्तार करने की शक्ति
बिना वारंट तलाशी लेने की शक्ति
अगर कोई विशेष सशस्त्र पुलिस अधिकारी या पुलिसकर्मी अपने अधिकारों का दुरुपयोग करता है तो...
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इस तरह की गलत गतिविधियों में दोषी पाये जाने पर आजीवन कारावास या कम से कम सात वर्ष के कारावास की सजा दी सकती है. जो चौदह वर्ष तक बढ़ाई भी जा सकती है. सजा अथवा कारावास के अतिरिक्त इस धारा के अधीन तीन महीने के वेतन या उस सीमा तक का जुर्माना लागू किया जा सकता है. इसके अलावा 14 अन्य गलत गतिविधियों में शामिल होने पर एक साल के कारावास या तीन महीने के वेतन तक का जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है.
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस का उद्देश्य
बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस के गठन के उद्देश्यों के बारे विधेयक में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यह राज्य की एक सशस्त्र पुलिस होगी. जो लोक व्यवस्था का संधारण उग्रवाद से मुकाबला प्रतिष्टानों की बेहतर संरक्षा एवं सुरक्षा सुनिश्चित करेगी. साथ ही ऐसे अन्य कर्तव्यों का निर्वहन करेगी जो सरकार द्वारा अधिसूचित किए जाए. गौरतलब है कि बिहार से पहले बंगाल, उड़ीसा और यूपी में इस तरह का कानून पहले से लागू है.