पटना के सरकारी कॉलेजों के हॉस्टल बनकर तैयार होने के बावजूद नहीं रह रही हैं छात्राएं
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पटना के सरकारी कॉलेजों के हॉस्टल बनकर तैयार होने के बावजूद नहीं रह रही हैं छात्राएं

बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, लेकिन बावजूद छात्राओं को हॉस्टल उपलब्ध नहीं किया गया है. 

पटना के सरकारी कॉलेजों के हॉस्टल में छात्र नहीं रह रहे हैं.
पटना के सरकारी कॉलेजों के हॉस्टल में छात्र नहीं रह रहे हैं.

प्रीतम कुमारा/पटनाः राजधानी पटना में ऐसे कई कॉलेज हैं, जिसके हॉस्टल बनकर पूरी तरह तैयार हैं. बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, लेकिन बावजूद छात्राओं को हॉस्टल उपलब्ध नहीं किया गया है. पटना जैसे शहर में किराये पर मकान लेकर रहना सबके बस की बात नहीं हैं. 

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का गंगा देवी महाविद्यालय कॉलेज जहां इंटर से लेकर ग्रेजुएशन तक की 1800 से ज्यादा छात्राएं पढ़ती हैं. गंगा देवी महाविद्यालय के कैंपस में ही एक हॉस्टल पूरी तरह बनकर तैयार है. इस हॉस्टल का नाम है शिवनंदन हॉस्टल जिसका उद्घाटन पिछले साल मई में हुआ था. हॉस्टल में बुनियादी सुविधाएं भी मौजूद हैं. 

हालांकि अब सवाल उठता है कि लाखों-करोड़ों खर्च होने के बावजूद छात्राएं रहने के लिए तैयार क्यों नहीं हैं. एक नजर गंगा देवी महाविद्यालय और अरविंद महिला कॉलेज में बने छात्रावास की मौजूदा हालात पर डालते हैं.

कॉलेज- गंगा देवी महाविद्यालय

छात्राओं के रहने की क्षमता- 40

ह़ॉस्टल बनाने पर खर्च- लगभग 93,पिछली बार इसका उद्घाटन

महाविद्यालय ने हॉस्टल के लिए हर महीने 5500 रुपये तय किया है

जिसमें दो टाइम का खाना और दोनों टाइम का चाय और नाश्ता भी--

कॉलेज- अरविंद महिला कॉलेज

तीन मंजिली इस हॉस्टल में छात्राओं के रहने की क्षमता 100 के करीब

सालाना हॉस्टल में रहने का खर्च 11 हजार रुपये

साल 2014 में हॉस्टल बनकर तैयार हुआ था..

अरविंद महिला कॉलेज में इंटर से लेकर पोस्ट ग्रेजुएट तक की पढ़ाई

छात्राओं की संख्या- 7 हजार

जब महाविद्यालयों के प्रिंसिपल से बात की गई तो उन्होंने बताया कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राएं कम आय वाले घरों से आती हैं लिहाजा छात्राएं बाहर रहना ही पसंद करती है. दूसरी ओर अरविंद महिला कॉलेज की प्रिंसिपल श्यामा राय का अलग विचार है. श्यामा राय के मुताबिक, छात्राओं को हॉस्टल में रखने का प्रयास जारी है. कॉलेज की दीवार टूटने के कारण छात्राओं को सुरक्षा के दृष्टिकोण से नहीं रखा गया है.

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