Patna: बिहार में बड़े भाई और छोटे भाई की भूमिका राजनीति में काफी है और इसका पैमाना राजनीतिक दलों द्वारा विधानसभा और लोकसभा सीटों पर किया जाता है. इसके तहत जिसकी अधिक सीटें रहती है वह बड़े भाई की भूमिका में रहता है. 2005 से 2020 तक बिहार में जेडीयू एनडीए में बड़े भाई की भूमिका में था लेकिन अब बदली परस्थिति में बीजेपी NDA में बड़े भाई की भूमिका में है.


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नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा की जोड़ी काफी पुरानी है. लेकिन समय-समय पर परिस्थितियों के हिसाब से यह जोड़ी अलग होती है और फिर एक भी होती रही है. अभी के जो राजनीतिक हालात हैं उसको लेकर दोनों को एक-दूसरे का साथ लेना जरूरी हो गया है. वहीं, उपेंद्र कुशवाहा के पास ना कोई सांसद हैं और ना ही विधायक. पार्टी भी कई बार टूट चुकी है ऐसे में इसको भी लेकर दोनों का एक-साथ जाना देखा जा रहा है.


जानकारी के अनुसार, उपेंद्र कुशवाहा का राजनीतिक सफर 1985 से शुरू हुआ. शुरुआती दिनों में वे युवा लोक दल से जुड़े थे. लेकिन बाद के दिनों में उन्‍होंने युवा जनता दल और फिर समता पार्टी में महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारियां निभाईं. बिहार में वर्ष 2000 में वे बिहार विधानसभा के लिए चुने गए और सदन में समता पार्टी के उपनेता बने. इसके बाद नेता प्रतिपक्ष की भी भूमिका निभाई लेकिन बावजूद इसके उपेंद्र यहां संतुष्‍ट नहीं थे और उन्‍होंने अपनी पार्टी बनाई. हालांकि, कुछ ही महीनों बाद उपेंद्र फिर से नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के करीब आए और अपनी पार्टी का विलय कर दिया.


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Upendra Kushwaha ने 3 मार्च 2013 को RLSP की स्थापना पटना के गांधी मैदान एक सभा करके किया था, जिसका सफर आज  14 मार्च 2021 को दो बजे दिन में खत्म हो जाएगा.  RLSP के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष उपेंद्र कुशवाहा आठ साल बाद फिर JDU का हिस्‍सा बन जाएंगे. JDU से ही अलग होकर उपेंद्र ने RLSP का गठन किया था. लेकिन आज से उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के छोटे भाई की भूमिका में नजर आएंगे.


इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी की 13 और 14 मार्च को बैठक बुलाई थी. इसमें पार्टी की राज्य परिषद ने 13 मार्च को निर्णय लेने के लिए सहमति जताई. इस संबंध में आज RLSP की राष्ट्रीय परिषद प्रस्ताव पेश करेगी और इसके बाद जेडीयू में विलय की आधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी. हालांकि, कुशवाहा ने 13 मार्च को पार्टी की बैठक में रूपरेखा तय कर दी. बैठक के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने देर शाम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की.


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13 मार्च को बैठक में कुशवाहा ने कहा कि जब हम विधान सभा चुनाव हारे थे तो उसकी समीक्षा बैठक के खत्म होते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का टेलीफोन आया था. इसके बाद मुख्यमंत्री से बात मुलाकात हुई. 
हम दोनों की चर्चा के समय कोई नहीं था. मुलाकात के कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री की तरफ से खत आया. लेकिन अब निर्णय लेने का वक्त आया है इसलिए यह बैठक बुलायी गयी है.