पटनाः first astrological therapy center: कुंडली में काल सर्प दोष, शनि की साढ़े साती-ढैया, मंगल की टेढ़ चाल या गुरु-सूर्य का नीच होना, ऐसी कई शब्द आपने अब तक ज्योतिषियों से सुने होंगे. ये भी कहा जाता है,  ग्रहों की ये स्थितियां बीमारियों की वजह बनती हैं और पंडित जी लोग इसके लिए हवन-पूजा जैसे उपाय भी बताते रहे हैं. 


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आप यकीन नहीं मानेंगे यही सारे कार्य और ऐसा ही इलाज अब पूरी तरह वैध और सरकारी है. इसकी शुरुआत हुई है बिहार के दरभंगा जिला से, जहां ज्योतिष के माध्यम से रोग का पता लगाकर उनका कुंडली और हवन-पूजन के जरिए निदान किया जा रहा है. 


दवा के साथ दुआ का भी उपाय
जानकारी के मुताबिक, दरभंगा जिले में राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में रोगियों के इलाज के लिए एक अनोखी विधि शुरू की गई है. यहां ज्योतिष के माध्यम से रोग का पता लगा कर उसका आयुर्वेदिक इलाज शुरू हुआ है जिसका अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. चिकित्सक अस्पताल में आने वाले रोगियों की जन्म तिथि, जन्म समय और जन्म स्थान की पता करके उनकी कुंडली बनाते हैं.



इसके बाद व्यक्ति की कुंडली के ग्रहों की स्थिति के अनुसार उस व्यक्ति के रोग का पता लगाया जाता है. तब उसे आयुर्वेदिक दवाएं दी जाती हैं. साथ रोग के अनुसार रत्न, हवन यज्ञ, मंत्र जाप और पूजा-पाठ करने का भी सुझाव दिया जाता है. अस्पताल की इलाज की यह अनोखी विधि धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है और मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. यहां आने वाले मरीजों का कहना है कि ज्योतिष और आयुर्वेद के मेल से उन्हें बीमारी के इलाज में काफी फायदा हो रहा है.


मरीजों का कहना- हो रहा है लाभ
इस तरह के इलाज से लाभान्वित होने वाले कई मरीज भी हैं. ज्योतिष के माध्यम से आयुर्वेदिक इलाज कराने पहुंची एक मरीज शोभा कुमारी ने कहा कि उन्हें आंख की बीमारी है. जब वे यहां आईं तो उनकी जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय पूछ कर चिकित्सक ने उनकी आंख की बीमारी को पहचान लिया. इसके बाद उन्हें आयुर्वेदिक दवाएं तो दी ही गईं साथ ही पूजा और मंत्र जाप का सुझाव भी दिया गया है. उन्होंने कहा कि इससे उन्हें फायदा हो रहा है.


हस्तरेखा विज्ञान का भी प्रयोग
महाराजा कामेश्वर सिंह राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के चिकित्सक डॉ. दिनेश कुमार ने कहा कि वे ज्योतिष के माध्यम से कुंडली बनाकर यहां आने वाले लोगों की बीमारियों की पहचान करते हैं. उन्होंने कहा कि जन्म तिथि, जन्म स्थान और जन्म समय की जानकारी लेकर कुंडली बनाई जाती है. साथ ही हस्तरेखा विज्ञान के माध्यम से भी व्यक्ति की कुंडली बनाई जाती है. उसके बाद उसे दवा और पूजा पाठ का सुझाव दिया जाता है. 


पहले वैद्य ही ज्योतिषि भी होते थे
उन्होंने कहा कि प्राचीन काल में जो आयुर्वेदिक चिकित्सक होते थे वे ज्योतिषी भी होते थे और जो ज्योतिषी होते थे वे आयुर्वेदिक चिकित्सक भी होते थे. उन्होंने कहा इससे इलाज में काफी फायदा होता था. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे यह परंपरा विलुप्त होती गई और आज लोग आयुर्वेद और ज्योतिष को अलग अलग समझ रहे हैं. उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक अस्पताल में इसे पुनर्जीवित किया गया है और लोग इसका लाभ उठा रहे हैं.


चिकित्सा और ज्योतिष एक साथ हुआ करते थे
वहीं, महाराजा कामेश्वर सिंह राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल के अधीक्षक सह महारानी रामेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रधानाचार्य प्रो. डॉ. दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि आज विपक्षी पार्टियों की तरह आयुर्वेद, ज्योतिष, योग विज्ञान, और प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान अलग-अलग हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि एक समय था जब ये सभी भारतीय विज्ञान एक ही साथ हुआ करते थे. 


आयुर्वेद के ही अंग हैं योग और ज्योतिष
उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की तरह ज्योतिष भी एक विज्ञान है और दोनों के समावेश से रोगों की पहचान और उनका इलाज आसान हो जाता है. उन्होंने कहा कि महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान की स्थापना का उद्देश्य ही यह था कि यहां आयुर्वेद के साथ-साथ ज्योतिष योग और नेचुरोपैथी का संगम हो, जो धीरे-धीरे समाप्त हो गया. उन्होंने कहा कि वे दरभंगा राज की साढ़े 5 सौ साल पुरानी परंपरा को जीवित कर रहे हैं और मिथिला के इस ज्ञान के माध्यम से देश के लोगों तक इसे पहुंचा रहे हैं.


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