Shyama Maa Mandir: श्मशान भूमि की चिता पर विराजमान हैं यह रहस्यमयी मंदिर
Darbhanga Shyama Maa Mandir: चिताओं और श्मशान में बने इस मंदिर में शादियां भी होती हैं, साथ ही शादी-शुदा जोड़े शादी के बाद दर्शन के लिए भी आते हैं.
पटनाः Darbhanga Shyama Maa Mandir: सनातन परंपरा में शादी के बाद एक साल तक श्मशान या चिता भूमि पर जाना वर्जित है. नए जोड़ों को वहां नहीं जाना चाहिए. क्या आप विश्ववास करेंगे बिहार में एक ऐसा भी मंदिर है जो श्मशान में ही बना है साथ ही इस मंदिर में सात फेरे लेने से आपको अटूट बंधन का आशीर्वाद मिलता है.
मंदिरों के प्रदेश बिहार में यह स्थल दरभंगा में स्थित है. काली माता को समर्पित यह मंदिर दरभंगा महाराज के किले में है. चिताओं और श्मशान में बने इस मंदिर में शादियां भी होती हैं, साथ ही शादी-शुदा जोड़े शादी के बाद दर्शन के लिए भी आते हैं.
दरभंगा के महाराज के कैंपस में स्थित है
चिता पर बना मंदिर श्यामा माई के नाम से मशहूर है और ये बिहार के दरभंगा जिले में स्थित है. यह मंदिर दरभंगा के महाराज के कैंपस में ही है. वैसे तो इस मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते ही हैं लेकिन नवरात्र में यह और भव्य हो जाता है. इस मंदिर में मां काली की भव्य मूर्ति स्थापित है.
मांगी हुई इच्छा अवश्य होती है पूर्ण
इस मंदिर को लेकर यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि मां काली से नम आंखों से कुछ भी मांगा जाता है तो उनकी मांगी हुई इच्छा अवश्य पूर्ण होती है. मूर्ति का विग्रह अलौकिक और अविस्मरणीय है, भक्तों को मां श्यामा के दर्शन से ही अदभुत सुख की प्राप्ति होती है. काली मां का मंदिर जो कि एक श्मशान भूमि में विराजमान है. यहां लोग अपनी नोकामनाओं के अलावा यहां शुभ कार्य जैसे मुंडन, उपनयन एवं मांगलिक कार्य भी करते हैं. बता दें कि मान्यता ऐसी भी है कि किसी भी शुभ कार्य जैसे शादी-विवाह, मुंडन, उपनयन होने के करीबन एक साल तक ना तो उसे किसी के दाह संस्कार में जाना चाहिए और ना ही किसी के श्राध्द का दाना खाना चाहिए.
साल 1933 में हुई थी मंदिर की स्थापना
बता दें कि मां काली मंदिर की स्थापना साल 1933 में दरभंगा महाराजा कामेश्वर सिंह ने की थी. यहां मां श्यामा की विशाल मूर्ति भगवान शिव की जांघ और वक्षस्थल पर स्थापित है. मां काली की दाहिनी तरफ महाकाल, बाईं ओर भगवान गणेश और बटुक की प्रतिमाएं स्थापित हैं. चार हाथों से सुशोभित मां काली की इस भव्य प्रतिमा में मां के बाईं ओर के एक हाथ में खड्ग, दूसरे में मुंड है. वहीं दाहिनी ओर के दोनों हाथों से माता अपने पुत्रों को आशीर्वाद देने की मुद्रा में विराजमान हैं.
आरती का है विशेष महत्व
मां श्यामा के मंदिर में आरती का विशेष महत्व है, आरती में शामिल होने के लिए भक्त यहां घंटों इंतजार करते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां की आरती में जो साक्षी बन जाता है, उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण हो जाती है और उसके जीवन के सारे अंधकार दूर हो जाते हैं.