साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस रहे बच्चे, पढ़ें चौंकाने वाली रिपोर्ट
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साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस रहे बच्चे, पढ़ें चौंकाने वाली रिपोर्ट

बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के जितने मामले वर्ष 2019 में दर्ज किए गए थे, उसमें महज एक वर्ष के भीतर 2020 में 400 फीसदी की वृद्धि हो गई.

साइबर अपराधी बना रहे मासूम बच्चों को शिकार.

Patna: नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो, यानी NCRB की ताजा रिपोर्ट (Report) में इस बात का खुलासा हुआ है कि बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध (Cyber Crime) की दर में बेतहाशा वृद्धि हुई है. वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में इसमें 400 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. जाहिर सी बात है कि रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाली है और गंभीर है. अब बच्चों के खिलाफ हो रहे साइबर क्राइम पर न सिर्फ गंभीर होने की जरूरत है, बल्कि इस पर अंकुश के लिए ठोस कार्रवाई की भी आवश्यकता है. 

बच्चों का अधिक समय गुजर रहा इंटरनेट पर
जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल (Digital) हो रही है लोगों की निर्भरता इंटरनेट (Internet) पर अधिक बढ़ रही है. आज के समय में लोगों के फोन में ही सारी दुनिया समा गई है. एक समय था जब बच्चों को मोबाइल (Mobile) और इंटरनेट (Internet) से दूर रहने के लिए डांट पड़ती थी. लेकिन वर्ष 2020 में कोरोना (Corona) के दौर में मोबाइल और इंटरनेट ही बच्चों की पढ़ाई के लिए सबसे बड़े माध्यम बने. क्योंकि बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन हो गई थी. जाहिर सी बात है कि ऑनलाइन एजुकेशन (Online Education) होने की वजह से बच्चों का समय इंटरनेट पर ज्यादा गुजर रहा है. 

आंकड़े बेहद गंभीर
जिस दौर में पूरी दुनिया कोरोना के खौफ में थी, ठीक उसी समय कुछ लोग वैसे भी थे जो मासूम बच्चों को अपना शिकार बनाने से नहीं चूके. तभी तो बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के जितने मामले वर्ष 2019 में दर्ज किए गए थे, उसमें महज एक वर्ष के भीतर 2020 में 400 फीसदी की वृद्धि हो गई. आंकड़ों के अनुसार, ऑनलाइन मामलों को लेकर दर्ज 842 मामलों में 738 मामले सिर्फ बच्चों के यौन शोषण (Sexual Abuse) से जुड़े हुए हैं. जाहिर सी बात है कि आंकड़े बेहद गंभीर हैं और समय अब चेतने का है.

पटना समेत कई जगहों पर हुई थी छापेमारी 
ऐसा नहीं है कि सिर्फ देश (Country) के बड़े शहरों में ही बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध हो रहे हैं. पटना (Patna) से सटे नौबतपुर, बिहटा (Bihta) जैसे ग्रामीण इलाकों के अलावा सीवान (Siwan) में भी चाइल्ड पोर्न (Child Porn) के धंधा के खिलाफ छापेमारी (Raid) हुई और इन जगहों से बड़ी मात्रा में चाइल्ड पोर्न कंटेंट की बरामदगी के साथ एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई. 

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सोशल साइट पर दोस्ती कर बनाते हैं शिकार 
बता दें कि हाल ही में साइबर अपराध की शिकार हो गई कम उम्र की एक लड़की पटना (Patna) के पत्रकार नगर थाना (Patrkar Nagar Thana) में पहुंची थी. कम उम्र की इस लड़की की दोस्ती उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के एक युवक से सोशल साइट (Social Site) पर हो गई. लड़के ने लड़की को अपने झांसे में ले लिया और फिर लखनऊ (Lucknow) बुलाकर न सिर्फ उसके अस्मत से खिलवाड़ किया, बल्कि वीडियो बनाकर अब ब्लैकमेल (Blackmail) भी कर रहा है. जिस युवक को न वो जानती थी न पहचानती थी उसने सोशल साइट के माध्यम से इस मासूम को अपनी हवस का शिकार बना लिया. 

बढ़ती घटनाओं से पेरेंट्स भी चिंतित 
बच्चों के खिलाफ बढ़ रहे साइबर अपराध, खासतौर पर सेक्सुअल असॉल्ट ऑनलाइन (Sexual Assault Online) की घटनाओं से बच्चों के पेरेंट्स (Parents) भी बेहद चिंतित हैं और इसे लेकर वो बच्चों को आगाह भी कर रहे हैं. इसके अलावे, समय-समय पर उनके मोबाइल (Mobile) और लैपटॉप (Laptop) भी चेक रहे हैं. कई पैरेंट्स ने अपने बच्चों की मोबाइल में में फिल्टर लगा रखा है. इससे मोबाइल में वो ही कंटेंट आते हैं जो बच्चे की स्टडी के लिए जरूरी है. इसके अलावा, गेमिंग को लेकर भी चुनिंदा गेम्स की ही पेरेंट्स की परमिशन है. 

बच्चों की बेहतर काउंसलिंग की जरूरत
पटना में भी साइबर अपराधों में बेहद वृद्धि हुई है, खासकर बच्चों के खिलाफ होने वाले साइबर क्राइम में तेजी से इजाफा हुआ है जो पुलिस (Police) के लिए भी चुनौतीपूर्ण है. पटना के पत्रकार नगर थाना के प्रभारी मनोरंजन भारती का भी मानना है कि बच्चों के खिलाफ हो रहे साइबर अपराध पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है. थाना प्रभारी ने कहा कि ऐसे गंभीर मामलों में बच्चों की बेहतर काउंसलिंग की जरूरत के साथ ही पेरेंट्स और समाज को भी सजग और सतर्क रहने की आवश्यकता है.

बेहद कड़े कानूनों और सजा का प्रावधान
वहीं, इस गंभीर मसले पर एडवोकेट आनंदी सिंह का कहना है कि बच्चों के खिलाफ होनेवाले साइबर अपराधों को लेकर बेहद कड़े कानूनों और सजा का प्रावधान है. इसके अलावा, पॉक्सो एक्ट (Pocso Act) के तहत भी दोषियों को कड़ी सजा देने का प्रावधान है. लेकिन इसके साथ-साथ बच्चों के पेरेंट्स को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है. बेहतर काउंसलिंग (Counselling) और मॉनीटरिंग (Monitoring) ही बच्चों की साइबर अपराधियों से रक्षा करेगा.

बच्चे साइबर अपराधियों के सॉफ्ट टारगेट
इस मामले में पटना की नामी मनोवैज्ञानिक डॉक्टर बिंदा सिंह (Binda Singh) ने कहा कि बच्चे साइबर अपराधियों (Cyber Criminals) के सॉफ्ट टारगेट (Soft Target) होते हैं. जिन्हें फंसाना साइबर अपराधियों के लिए बेहद आसान होता है. मानसिक तौर पर बीमार लोगों की भी कमी नहीं है जो मासूम बच्चों को भी हवस का शिकार बनते हैं. ऐसे में, कानून को प्रभावी बनाने के साथ-साथ बच्चों को ऐसे अपराधों के बारे में जानकारी देना भी बेहद जरूरी है, ताकि वो ऐसे लोगों या सामग्रियों से दूर रहें.

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