Kharmas Start: खरमास में क्या रही है बिहार की परंपरा, जानिए इस एक महीने का महत्व
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Kharmas Start: खरमास में क्या रही है बिहार की परंपरा, जानिए इस एक महीने का महत्व

Kharmas Start: खरमास के दौरान सूर्य की चाल धीमी होती है इसलिए इस दौरान किया गया कोई भी काम शुभ फल नहीं करता है. इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ काम करना वर्जित माना जाता है. 

Kharmas Start: खरमास में क्या रही है बिहार की परंपरा, जानिए इस एक महीने का महत्व

पटनाः Kharmas Start: खरमास की शुरुआत हो चुकी है. सनातनी परंपरा में खरमास (Kharmas) को खराब मास, शुभ कार्यों के लिए अनुचित समय आदि माना जाता है. हालांकि कोई समय खराब नहीं होता है, फिर भी एक महीने की इस विशेष अवधि में समय प्रतिकूल होता है और सभी मांगलिक ग्रहों-नक्षत्रों की धरती से दूरी होती है, इसलिए शुभ कार्य इस दौरान नहीं किए जाते हैं. 

  1. खरमास में भगवान सूर्यनारायण (Surya Deva) दक्षिणायन होते हैं
  2. खरमास में सूर्यदेव (Surya Deva) की पूजा करना उत्तम है.

मलमास भी कहलाता है खरमास
धार्मिक मान्यता के मुताबिक, खरमास के दौरान सूर्य की चाल धीमी होती है इसलिए इस दौरान किया गया कोई भी काम शुभ फल नहीं करता है. इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ काम करना वर्जित माना जाता है. खरमास को देश के कई स्थानों पर मलमास के नाम से भी जाना जाता है. इस साल खरमास (Kharmas) यानी मलमास 14 दिसंबर से लग रहा है जो 14 जनवरी 2022 तक चलेगा. 

दक्षिणायन होते हैं सूर्यदेव
खरमास के समय भगवान सूर्यनारायण (Surya Deva) दक्षिणायन होते हैं. इस समय में शुभ कर्म भले ही न होते हों, लेकिन तीर्थयात्रा, दान-पुण्य, हवन-जाप आदि कार्य किए जा सकते हैं. बल्कि किए भी जाने चाहिए. 
तीर्थयात्रा और भगवान विष्णु की पूजा के लिए इस महीने को काफी उत्तम माना गया है. दक्षिणायन का आखिरी महीना ही खरमास होता है. इसके बाद ही सूर्यदेव उत्तरायण के लिए जाते हैं. 

खरमास में सूर्यदेव (Surya Deva) की पूजा करना उत्तम है. सूर्यदेव ऊर्जा और प्रकाश के देवता हैं, जिनसे धरती पर जीवन चलायमान है. इसलिए सूर्यदेव का दर्शन-मनन करना जरूरी है. बिहार में खरमास की विशेष परंपरा है. इन दिनों दक्षिणायन में बड़े-बुजुर्ग नदी-तालाब में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देते हैं. हालांकि अब सर्दियों में ऐसा करना सभी के लिए संभव नहीं है, लेकिन प्राचीन परंपरा यही रही है. 

खरमास (Kharmas) में क्या करें?
खरमास में सूर्य की उपासना करनी चाहिए.
इसके अलावा यह एक महीना महा धर्म, दान, जप-तप आदि के लिए अति उत्तम माना गया है.
इस दौरान जो कोई भी व्यक्ति सच्ची आस्था और श्रद्धा के साथ दान पुण्य आदि करता है उससे कई गुना फल प्राप्त होता है.
खरमास के महीने में ब्राह्मण, गुरु, गाय और साधु-सन्यासियों की सेवा करने का भी विशेष महत्व बताया गया है.
खरमास के इस महीने में तीर्थ यात्रा करना बेहद ही उत्तम माना जाता है.
इसके अलावा इस महीने में भागवत गीता, श्री राम पूजा, कथा वाचन, विष्णु और शिव पूजन बेहद ही शुभ माने जाते हैं.

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