नीतीश कुमार की समाज सुधार यात्रा से पहले जानिए ये खास Fact, चंपारण इतना जरूरी क्यों
Samaj Sudhar Yatra Nitish Kumar: नीतीश कुमार इससे पहले 11 और यात्राएं निकाल चुके हैं. इन यात्राओं की शुरुआत के लिए उन्होंने हर बार चंपारण, या फिर इसी के किसी हिस्से को चुना है.
पटना: Samaj Sudhar Yatra: बिहार यानी देश का ऐसा राज्य, जहां की धरती पर खड़े होकर जब भी जनमानस को पुकारा गया तो यह आवाज महज आवाज ही नहीं रही, बल्कि क्रांति बन गई. बात आजादी से पहले की हो तो याद आता है चंपारण, जिसकी धरती ने गांधी को पहले बापू और फिर महात्मा बना दिया. यहीं से बापू ने लोगों को जोड़ने के लिए यात्राओं का दौर शुरू किया.
यात्राएं, जिन्होंने सत्ता की धड़कनें बढ़ा दीं
इन यात्राओं में धड़धड़ाते बढ़े कदमों ने कई बार ब्रिटानी साम्राज्य की धड़कनें बढ़ाई हैं. वक्त बदल गया, सत्ता बदल गई, बदल गया सत्ता बनाने का तरीका और बदली आवाम भी, लेकिन नहीं बदला है तो सत्ता में यात्राओं का अपना महत्व. सीएम नीतीश कुमार यात्राओं के इस महत्व को खूब समझते हैं. उनके राजनीतिक करियर पर निगाह डालें तो ये यात्राएं उनकी राजनीतिक जिंदगी का अहम हिस्सा रही हैं. समाज सुधार यात्रा चर्चा में है, लेकिन इससे पहले की उनकी यात्राओं पर डालते हैं एक नजर तो कई खास बात नजर आएंगीं.
चंपारण की धरती और राजनीतिक यात्राएं
एक खास तथ्य यह है कि नीतीश कुमार इससे पहले 11 और यात्राएं निकाल चुके हैं. इन यात्राओं की शुरुआत के लिए उन्होंने हर बार चंपारण, या फिर इसी के किसी हिस्से को चुना है. चंपारण को बापू की पहली कर्मभूमि के तौर पर जाना जाता है. यहां से उन्होंने नील की खेती से त्रस्त किसानों के लिए आवाज उठाई और तीन कठिया कानून का पुरजोर विरोध किया.
इतिहास इसे नील के विरुद्ध क्रांति, चंपारण आंदोलन और पहले सत्याग्रह के तौर पर जानता है. पूरे देश पर इसका जो असर पड़ा, भारतीय राजनीति, खास तौर पर बिहार की राजनीति के लिए आज भी मील का पत्थर है. लिहाजा, नीतीश कुमार को भी जनता से सीधा संवाद करना होता है वह चंपारण की धरती पर पहुंच जाते हैं.
सीएम नीतीश कुमार की यात्राओं का ब्योरा
न्याय यात्रा (12 जुलाई 2005- चंपारण)
विकास यात्रा (9 जनवरी 2009- बगहा)
धन्यवाद यात्रा (17 जून 2009- चंपारण)
प्रवास यात्रा (25 दिसंबर 2009- वाल्मीकिनगर)
विश्वास यात्रा (28 अप्रैल 2010- पश्चिमी चंपारण)
सेवा यात्रा (9 नवंबर 2011- बगहा)
अधिकार यात्रा (19 सितंबर 2012 -पश्चिमी चंपारण)
संकल्प यात्रा (5 मार्च 2014- चंपारण)
संपर्क यात्रा (13 नवंबर 2014- बेतिया)
निश्चय यात्रा (9 नवंबर 2016- नरकटियागंज)
समीक्षा यात्रा (12 दिसंबर 2017- बगहा)
जल-जीवन-हरियाली यात्रा (3 दिसंबर 2019- बगहा)
समाज सुधार यात्रा (22 दिसंबर 2021- मोतिहारी)
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