Chhath Puja: खरना कार्यक्रम में शामिल हुए नित्यानंद राय, कहा-छठी मैया सबका करें कल्याण
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Chhath Puja: खरना कार्यक्रम में शामिल हुए नित्यानंद राय, कहा-छठी मैया सबका करें कल्याण

छठ पर्व की शुभकामनाएं देते हुए नित्यानंद राय ने कहा, 'छठी मैया सबका कल्याण करें. छठ महापर्व की शुरुआत सोमवार को 'नहाय-खाय' के साथ हो गई है. ये पूजा प्रकृति की पूजा है. इस पर्व की विशेषता ये है कि समाज में सद्भाव और प्रेम का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता है. ये पर्व पर्यावरण, वैज्ञानिक, सद्भावना और प्रेम के दृष्टिकोण से अतुल्यनीय है.'

खरना कार्यक्रम में शामिल हुए नित्यानंद राय. (तस्वीर साभार- @nityanandraibjp)

Delhi/Patna: बिहार की राजधानी पटना सहित राज्य के शहरों, गांवों से लेकर कस्बों तक में सोमवार को 'नहाय-खाय' के साथ ही चार दिनों तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व छठ (Chhath) प्रारंभ हो गया. पटना के गंगा तटों पर सोमवार की सुबह से ही छठव्रतियों की भीड़ दिखने लगी. वहीं, चार दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व के दूसरे दिन यानी मंगलवार को श्रद्धालुओं ने दिनभर निराहार रह कर सूर्यास्त होने की बाद खरना किया. इस दौरान केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai) राजधानी दिल्ली में छठ पर्व के दूसरे दिन खरना पूजा कार्यक्रम में शामिल हुए. 

छठ पर्व की शुभकामनाएं देते हुए नित्यानंद राय ने कहा, 'छठी मैया सबका कल्याण करें. छठ महापर्व की शुरुआत सोमवार को 'नहाय-खाय' के साथ हो गई है. ये पूजा प्रकृति की पूजा है. इस पर्व की विशेषता ये है कि समाज में सद्भाव और प्रेम का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता है. ये पर्व पर्यावरण, वैज्ञानिक, सद्भावना और प्रेम के दृष्टिकोण से अतुल्यनीय है.'

ये भी पढ़ें- Chhath Mahaparv 2021: जानिए किस लोक में है छठी मईया का निवास, सदियों से हैं आस्था का केंद्र

उन्होंने कहा, जब समाज में भेदभाव था, तब भी छठ पर्व होता था. बड़े से बड़े व्यक्ति भी जात-पात भूलकर नदियों और तालाब के पास सामान्य लोगों की तरह ही छठी मईया की पूजा करते हैं. इस पर्व में सभी प्रकार के भेदभाव मिट जाते हैं.'

बता दें कि चार दिनों तक चलने वाले इस महान पर्व के दूसरे दिन यानी मंगलवार को श्रद्धालुओं ने दिनभर निराहार रह कर सूर्यास्त होने की बाद खरना किया. इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ हो गया. पर्व के तीसरे दिन बुधवार को छठव्रती शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे उसके बाद गुरुवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही श्रद्धालुओं का व्रत समाप्त हो जाएगा.

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