नहीं हो रही चापाकलों की मरम्मती, पानी की कमी से 60 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बंद
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नहीं हो रही चापाकलों की मरम्मती, पानी की कमी से 60 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बंद

कैमूरः कैमूर जिले में चापाकल मरम्मती के नाम पर केवल लीपापोती हो रही है, सभी चापाकलों की मरम्मती का काम केवल कागजों पर चल रहा है.

(फाइल फोटो)

कैमूरः कैमूर जिले में चापाकल मरम्मती के नाम पर केवल लीपापोती हो रही है, सभी चापाकलों की मरम्मती का काम केवल कागजों पर चल रहा है. आपको बता दें कि इस जिले में पानी की ऐसी समस्या है कि चापाकल खराब होने और पानी की कमी के कारण 60 विद्यालयों में मिड डे मिल तैयार नहीं हो रहा है और ना ही बच्चों को यह परोसा जा रहा है. 

विभागीय आदेश के बाद भी स्कूल के चापाकलों की मरम्मती नहीं 
आपको बता दें कि विभागीय आदेश के बाद भी केवल कागजों में चापाकल मरम्मती का काम दिखाया जा रहा है, जबकि सरकारी विद्यालयों में लगे चापाकल दुरुस्त किए ही नहीं गए हैं. इन चापाकलों को ठीक करने के नाम पर लाखों रुपए की रकम की सीधे-सीधे तौर पर लूट हो रही है. गर्मी से पहले ही सभी चापाकलों को दुरूस्त करने के लिए जिलाधिकारी ने चापाकल मरम्मतीकरण रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था लेकिन डीएम के आदेश की भी अवहेलना पीएचईडी विभाग कर रहा है. विभाग की तरफ से कागजों में ही मरम्मतीकरण दिखाकर लाखों रुपए की रकम निकाल ली जा रही है. 

ग्रामीण से लेकर स्कूली बच्चे तक हो रहे पानी की कमी से हलकान
कैमूर जिले में चापाकल खराब होने से 60 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बंद है. जिला प्रशासन द्वारा गर्मी की शुरुआत होते ही चापाकल दुरूस्त करने वाले रथ को हरी झंडी दिखाई गई थी. जिसमें एक चापाकल मिस्त्री, एक हेल्पर और चापाकल बनाने वाले सामान के साथ गाड़ी को रवाना किया गया था. इसका उद्देश्य था कि प्रत्येक दल हर प्रखंड में खराब हुए चापाकल को दुरूस्त करेगा. यह टीम पूरी गर्मी प्रत्येक प्रखंड में मौजूद रहेगा और बिगड़े सभी चापाकल को ठीक करने का काम करेगा, लेकिन पीएचईडी विभाग की तरफ से भेजे गए टीम ने सिर्फ कोरम पूरा करने में अपना ध्यान लगा रखा है. कई स्थानीय लोगों को तो पता तक नहीं है कि चापाकल मरम्मतीकरण की टीम उनके प्रखंड में आई है या नहीं. अगर आई है तो कहां है लोग जानते तक नहीं. सरकारी विद्यालयों में लगे चापाकल खराब होने की सूची जिला शिक्षा विभाग के कार्यालय से लगातार पीएचईडी कार्यालय को भेजा जा रहा लेकिन फिर भी चापाकल मरम्मत समय पर नहीं होने से बच्चों के मध्याह्न भोजन नहीं मिल पा रहा है. इस भीषण गर्मी में कैमूर जिले में तापमान 44 डिग्री जा पहुंचा है, ऐसी स्थिति में पीने के लिए पानी लाने भी बच्चों को दूर गांव में जाना पड़ता है. 

विभागीय उदासीनता का शिकार हो रहे बच्चे 
शिक्षक बताते हैं कोरोना काल के बाद जब विद्यालय खुला तब से चापाकल खराब होने की सूचना शिक्षा विभाग और पीएचईडी विभाग को दिया जा रहा है. फिर भी इस पर कोई पहल नहीं हुई और हमारे चापाकल खराब होने से बच्चों को पीने का पानी गांव से जाकर लाना तो पड़ता है साथ में बच्चों को मिलने वाला मध्याह्न भोजन भी बंद हो गया है. ग्रामीण बताते हैं कि चापाकल खराब होने से बच्चों को काफी परेशानी होती है. विद्यालय भ्रमण के लिए अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक समय-समय पर आते हैं लेकिन कोई भी चापाकल बनवाने की दिशा में कार्य नहीं कर रहा. हम लोग शिकायत करके भी थक चुके हैं. 

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विद्यालय के बच्चे बताते हैं पीने का पानी हम लोग घर से लाते हैं और जब वह खत्म हो जाता है तो मध्याह्न ब्रेक होने पर गांव में किसी भी व्यक्ति के घर से जा कर पानी लाना पड़ता है. हम लोगों का मध्याह्न भोजन भी  पानी के अभाव में बंद हो गया है. 

विभाग का दावा सारे खराब चापाकल किए जा चुके हैं ठीक 
पीएचईडी विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी इंजीनियर अमित कुमार बताते हैं कि शिक्षा विभाग द्वारा 68 चापाकलों के खराब होने की सूची हम लोगों को सौंपी गई थी. जिसे दुरूस्त करा दिया गया है. हमारी चापाकल मरम्मतीकरण टीम प्रत्येक प्रखंड में भेजी गई है. प्रत्येक प्रखंड में एक वाहन के साथ एक चापाकल मिस्त्री, सहायक और चापाकल बनाने से संबंधित सारे उपकरण भेजा गया है और हम लोग का कंट्रोल रूम भी है, उसमें जब शिकायत मिलती है वैसे ही चापाकल दुरूस्त कराया जाता है. जितने विद्यालय में चापाकल खराब होने की सूची मिली थी वह सब दुरूस्त करा दिया गया है. जैसे-जैसे और सूची आ रही है उसको दुरूस्त कराया जा रहा है. 

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