सीतामढ़ी के परिहार प्रखंड का यह महादलित गांव ऐसे इलाकों से ताल्लुक रखता है. जहां आज भी महादलित परिवार के लोग विकास की योजनाओं से वंछित है. इस इलाके में इन्द्रा नामक इस बेटी ने मैट्रिक की परीक्षा मे शामिल होकर महादलित परिवार की शान बढ़ाई है.
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सीतामढ़ी: womens day special: शिक्षा एक ऐसा हथियार है जिसके बदौलत इंसान अपने साथ साथ समाज की भी किस्मत बदल सकता हैं. इस हथियार की बदौलत इंसान सफलता की ओर बढ़ सकता है. इसी उद्देश्य से सीतामढ़ी के छोटे से गांव मे महादलित परिवार की एक लड़की ने शिक्षा को अपनी ढाल बनाया है. प्रधानमंत्री मोदी का भी सपना है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, तो वहीं राज्य के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार दहेज प्रथा के खिलाफ लगातार समाज को जागरुक करने के लिये संवाद चला रहे है.
महादलित परिवार विकास की योजनाओं से आज भी वंछित
सीतामढ़ी के परिहार प्रखंड का यह महादलित गांव ऐसे इलाकों से ताल्लुक रखता है. जहां आज भी महादलित परिवार के लोग विकास की योजनाओं से वंछित है. इस इलाके में इन्द्रा नामक इस बेटी ने मैट्रिक की परीक्षा मे शामिल होकर महादलित परिवार की शान बढ़ाई है. कहने को दुबे टोला गांव में 200 परिवार और 1000 से अधिक आबादी है. इसमें 90% संख्या में महादलित हैं, लेकिन अब तक गांव में एक भी मैट्रिक पास बेटी नहीं है.
इन्द्रा है महादलित परिवार के बच्चों की ब्रांड एम्बेसडर
वहीं इंद्रा की किस्मत ने उस वक्त करवट ले रहीं हैं. जब मुंबई में 'बचपन बचाओ' आंदोलन के द्वारा बाल मजदूरी कर रहे 5 बच्चों को मुक्त कराया गया हैं. इन बच्चों को मुक्त कराने के बाद इस गांव मे लाया गया और उनके हौसले बुलंद करने के लिए उन्हें शिक्षा से जोड़ने की कोशिश की गई. इस वक्त इन्द्रा महादलित परिवार के बच्चों की ब्रांड एम्बेसडर बन चुकी है. इतना ही नही इंद्रा गांव के दूसरे बच्चों को भी पढ़ने के लिये प्रेरित कर रही है. खाली समय मे इन्द्रा गांव के सरकारी स्कूल में पहुंच जाती है जहां उसके द्वारा छोटे-छोटे बच्चियो को पढ़ाने का काम किया जाता है.
इतना ही नहीं इन्द्रा कम उम्र मे होने वाली शादियों से नुकसान और दहेज प्रथा के खिलाफ भी बच्चों मे जागरुकता फैलाने का काम करती है. वह पढ़ लिखकर वकील बनना चाहती है ताकि वह गरीब समाज के लोगों को मुफ्त न्याय दिलवा सकें.
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