झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र 6 जनवरी से 8 जनवरी तक चलेगा. इसमें बीजेपी बिना नेता विधायक दल के ही जाएगी. पार्टी ने विधायकों के साथ कॉर्डिनेशन करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है.
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रांची: झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र सोमवार से शुरु हो रहा है. तीन दिनों के सत्र में सभी निर्वाचित विधायकों को प्रोटेम स्पीकर सदन की सदस्यता दिलाएगें. इसके साथ ही स्पीकर का चुनाव. राज्यपाल का अभिभाषण और अनुपूरक बजट पेश होगा.
वहीं, बीजेपी को इस बार विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली है. इस हार से बीजेपी जल्दी उबरती नहीं दिख रही है. राज्य में मिले नतीजो ने बीजेपी को आदिवासी केंद्रित पॉलिटिक्स की तरफ लौटने को मजबूर कर दिया है. इसी लिए भविष्य की सियासत को साधने के लिए बीजेपी अब हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहती है.
इसी क्रम में बीजेपी प्रदेश कार्यालय में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में नव निर्वाचित विधायको की बैठक में तय हुआ कि फिलहाल पार्टी विधानसभा के विशेष सत्र में बिना नेता विधायक दल के ही जाएगी. साथ ही सामूहिक तौर पर सभी विधायक अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे. इसके लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनी है जिसमें- नीलकंठ मुंडा, सीपी सिंह और अंनत ओझा विधायकों के साथ कॉर्डिनेशन बनाएगें.
इधर, तीन दिनों तक चलने वाले विधानसभा में बीजेपी के सभी विधायक भी सदस्यता ग्रहण करेगें. लेकिन बीजेपी आगे की राजनीति को साधने और इसे और कारगर बनाने के लिए कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहती है. इसी के तहत बीजेपी ने अभी तक नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल का नेता नहीं चुना है. साथ ही रणनीति के तहत सभी विधायकों को एकजुट होकर जिम्मेदारी निभाने का निर्देश दिया गया है.
गौरतलब है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में मिली हार ने बीजेपी की सियासत को उलझा दिया है. अंदर खाने पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि विपक्ष चुनाव के दौरान बीजेपी की ट्राईबल विरोधी छवि बनाने में कामयाब रहा. ऐसे में अब एक बार फिर बीजेपी की झारखंड की सियासत ट्राईबल केंद्रित हो इसके लिए सभी पहलू पर पार्टी गंभीरता से विचार करेगी.