जेएमएम ने बीजेपी को सलाह दिया है कि, पार्टी को अपना नया नेता चुन लेना चाहिए. क्योंकि, बाबूलाल का विलय 10वीं अनुसूची का उल्लंघन साफ तौर पर दिखता है.
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रांची: झारखंड में नेता प्रतिपक्ष का पेंच अब तक उलझा हुआ है. इसका मुख्य कारण है, जब केंद्रीय अध्यक्ष के तौर पर बाबूलाल मरांडी (Babulal Marandi) ने अपनी पार्टी का विलय बीजेपी (BJP) में किया तो, उससे पहले दो विधायक प्रदीप यादव और बन्धु तिर्की को पार्टी विरोधी गतिविधि बताकर बाहर का रास्ता दिखाया दिया.
इसके बाद, दोनों ने खुद को असली जेवीएम (JVM) बताकर कांग्रेस (Congress) में विलय का दावा किया. हालांकि, निर्वाचन आयोग (Election Commission) ने बाबूलाल वाली जेवीएम को बीजेपी में विलय का मान्यता दे दी. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने अब तक बाबूलाल के बीजेपी में विलय को अपनी स्वीकृति नहीं दी है. लिहाजा नेता प्रतिपक्ष की मान्यत तक नहीं दी है.
वहीं, इस पूरे मामले पर विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि, चुनाव आयोग ने क्या किया ये बड़ी बात नहीं है. विधानसभा के पिछले पन्ने को पलटेगें तो, जेवीएम के 6 विधायक बीजेपी में गए थे, निर्वाचन आयोग से लिखवाकर लाया था कि, हमारे 8 विधायक हैं और हम लोगों ने मर्ज नहीं किया है.
लेकिन तब अध्यक्ष ने विलय को मान्यत दी थी और कहा था हम पार्टी नहीं देख रहे हैं. हम लेंथ ऑफ दी लेजिस्लेटिव देख रहे हैं. उसी को देखे तो दो-तिहाई कांग्रेस में गया है और विधानसभा उसी को देखती है. इस पर, विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने कहा कि, फैसला सही समय पर आ जाएगा.
इधर, जेएमएम (JMM) ने बीजेपी को सलाह दिया है कि, पार्टी को अपना नया नेता चुन लेना चाहिए. क्योंकि, बाबूलाल का विलय 10वीं अनुसूची का उल्लंघन साफ तौर पर दिखता है. लेकिन विधायक दल का विलय होना है तो, दो तिहाई का प्रावधान है.
जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि, बेहतर होता बीजेपी अपना नया नेता चुन लेती और बाबूलाल इन सब चीजों में न पड़ कर, इस्तीफा देकर फिर से चुनाव लड़ें और जीत कर आएं. वहीं, बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने कहा कि, नेता प्रतिपक्ष का मामला बिल्कुल राजनीतिक है, अब जेएमएम वाली सरकार क्या चाहती है, यह सब जग जाहिर है.
सीपी सिंह ने कहा कि, बाबूलाल बीजेपी विधायक दल के नेता चुने गए हैं. अब तक उन्हें नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दे देना चाहिए था. संवैधानिक व्यवस्था के तहत अध्यक्ष को ही अधिकार है, लेकिन इतना समय हो जाने पर मन में तरह तरह के विचार आते हैं. स्वस्थ्य परंपरा के तहत बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता दे देनी चाहिए.