पश्चिम बंगाल में CAA को चुनावी मुद्दा बनाएगी BJP, बिहार प्रदेश प्रभारी ने दिए संकेत
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पश्चिम बंगाल में CAA को चुनावी मुद्दा बनाएगी BJP, बिहार प्रदेश प्रभारी ने दिए संकेत

माना जाता है कि पश्चिम बंगाल में कुल 70 विधानसभा क्षेत्रों में पश्चिम बंगाल से आए हिंदू शरणार्थी रहते हैं. लंबे समय से यहां के शरणार्थी हिंदू भारतीय नागरिकता की मांग उठाते रहे हैं. इस प्रकार सीएए को मुद्दा बनाकर बीजेपी इन शरणार्थियों को साधने की कोशिश में है. 

पश्चिम बंगाल में सीएए को चुनावी एजेंडा बना कर मैदान में उतरेगी बीजेपी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

कोलकता/पटना: झारखंड और दिल्ली जैसे राज्यों में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को मुद्दा बनाने के बाद भी सफलता हाथ नहीं लगने पर बीजेपी निराश नहीं है. अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी सीएए को मुद्दा बनाएगी. इसको लेकर पार्टी में किसी तरह का कोई कंफ्यूजन नहीं है. ऐसा पार्टी सूत्रों का कहना है.

पश्चिम बंगाल उन राज्यों में शुमार है जहां पड़ोसी देश बांग्लादेश से आने वाले अल्पसंख्यकों की संख्या सबसे ज्यादा है.

माना जाता है कि पश्चिम बंगाल में कुल 70 विधानसभा क्षेत्रों में पश्चिम बंगाल से आए हिंदू शरणार्थी रहते हैं. लंबे समय से यहां के शरणार्थी हिंदू भारतीय नागरिकता की मांग उठाते रहे हैं. इस प्रकार सीएए को मुद्दा बनाकर बीजेपी इन शरणार्थियों को साधने की कोशिश में है. 

1971 में पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बनने के बाद वहां से हिंदुओं का पलायन शुरू हुआ था. भारत आने वाले हिंदुओं में ज्यादातर मटुआ समुदाय के हैं. पश्चिम बंगाल के राजनीतिक के जानकारों का मानना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 18 सीटें जीतने के पीछे मटुआ समुदाय के हिंदुओं का समर्थन भी कारण रहा.

क्या पश्चिम बंगाल में बीजेपी सीएए को मुद्दा बनाएगी, इस सवाल पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव पहले आईएएनएस से कह चुके हैं कि 'निश्चित रूप से, हमारी पार्टी इस मुद्दे पर स्पष्ट है. बीजेपी के संकल्प पत्र में जो भी वादे हैं, उस पर काम होगा. देश के संविधान को हम आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहेंगे.'

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में पश्चिम बंगाल के दौरे के दौरान भी नागरिकता संशोधन पर चर्चा की थी. बीते एक मार्च को शाह ने कोलकाता में 'हम अन्याय नहीं सहेंगे' अभियान की शुरुआत करते हुए कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोधी दल अल्पसंख्यकों को भड़काने का काम कर रहे हैं.

अमित शाह के बयानों के बाद से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी सीएए को चुनावी मुद्दा बनाने को लेकर जरा भी संशय की स्थिति में नहीं है.
Input:-IANS