BJP ने अध्यादेश निरस्त करने को राज्यपाल को लिखा पत्र, कहा- यह अंग्रेजी शासन की याद दिलाता है
Advertisement

BJP ने अध्यादेश निरस्त करने को राज्यपाल को लिखा पत्र, कहा- यह अंग्रेजी शासन की याद दिलाता है

उन्होंने कहा कि राज्य में लाखों की संख्या में प्रवासी मज़दूर कामगर बाहर से लौटे हैं जिनके सामने भरण-पोषण के लिए रोजगार की विकराल समस्या है. सरकार रोजगार उपलब्ध नहीं करा रही है जिसके कारण ये रोजी रोटी के लिए चिंतित हैं.

BJP ने अध्यादेश निरस्त करने को राज्यपाल को लिखा पत्र, कहा- यह अंग्रेजी शासन की याद दिलाता है .

रांची: झारखंड सरकार की ओर से कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लाए गए अध्यादेश को निरस्त करने की मांग को लेकर बीजेपी ने राज्यपाल को ईमेल के जरिए पत्र लिखा है और अनुरोध किया है कि उस अध्यादेश को निरस्त किया जाए. बीजेपी ने कहा कि राज्य सरकार इस जनविरोधी अध्यादेश को निरस्त करे. 

बीजेपी ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा कि यह अध्यादेश अंग्रेजी शासन की याद दिलाता है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष व सांसद  दीपक प्रकाश और पार्टी के विधायक दल के नेता पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने संयुक्त रूप से पत्र लिखकर राज्यपाल से मास्क नहीं लगाने पर एक लाख रुपए जुर्माना या दो साल की सजा से संबंधित अध्यादेश को निरस्त करने के लिए राज्य सरकार को निदेशित करने का अनुरोध किया है.

नेता ने कहा कि यह जनविरोधी, गरीब, मजदूर विरोधी अध्यादेश है. राज्य की जनता स्वयं कोरोना संक्रमण से परेशान है. इस बीच यह अध्यादेश जनता की परेशानियों को और अधिक बढ़ाने वाला है. बेहतर होता कि सवा तीन करोड़ जनता को मास्क के लिए दबाव न बनाकर स्वयं से बनाए हुए फेस कवर अथवा गमछा, तौलिया, रुमाल से चेहरे को ढककर बाहर निकलने के लिए प्रेरित किया जाता.

उन्होंने कहा कि राज्य में लाखों की संख्या में प्रवासी मज़दूर कामगर बाहर से लौटे हैं जिनके सामने भरण-पोषण के लिए रोजगार की विकराल समस्या है. सरकार रोजगार उपलब्ध नहीं करा रही है जिसके कारण ये रोजी रोटी के लिए चिंतित हैं.

बीजेपी नेता ने कहा कि मजदूरों की इन मजबूरियों का फायदा उठाने के लिए प्रदेश में नक्सली संगठन सक्रिय है. ऐसे संगठन इन्हें पैसे का प्रलोभन देकर संगठन से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं.

मरांडी ने कहा कि जिस प्रकार से कोरोना महामारी विकराल रूप धारण करता जा रहा है, ऐसे में सरकार को राज्य में समुचित इलाज की व्यवस्था पर जोर देना चाहिए. न की अंग्रेजी हुकूमत की तरह कठोर कानून बनाकर जनता को और अधिक परेशान करने पर. 

आज गरीबों, मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना प्राथमिकता में होना चाहिए था जिस ओर सरकार का कोई ध्यान नहीं है.