झारखंड में हार के बाद अभी तक BJP चुन नहीं पाई प्रदेश अध्यक्ष, जानिए क्यों
Advertisement

झारखंड में हार के बाद अभी तक BJP चुन नहीं पाई प्रदेश अध्यक्ष, जानिए क्यों

बीजेपी ने इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है, जबकि दो दिवसीय विधानसभा सत्र सात जनवरी से शुरू होने वाला है. चुनाव परिणाम 23 दिसंबर को घोषित किए गए थे.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

रांची: ऐसा लगता है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से भारतीय जनता पार्टी (BJP) अभी तक उबर नहीं पाई है. पार्टी अभी तक एक प्रदेश अध्यक्ष और विधायक दल के नेता का चयन नहीं कर पाई है. हार के बाद लक्ष्मण गिलुवा ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है.

बीजेपी ने इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है, जबकि दो दिवसीय विधानसभा सत्र सात जनवरी से शुरू होने वाला है. चुनाव परिणाम 23 दिसंबर को घोषित किए गए थे, लेकिन बीजेपी अपने नेता का चुनाव करने के लिए विधायकों की बैठक तक नहीं बुला पाई है. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास (Raghubar Das) को खुद जमशेदपुर पूर्व क्षेत्र से हार का सामना करना पड़ा, जहां से वह 18,000 से अधिक वोटों से दिग्गज नेता सरयू राय (Saryu Rai) से हार गए.

रघुवर दास राज्य के ऐसे दूसरे मुख्यमंत्री रहे, जो पद पर होने के बावजूद चुनाव हार गए. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के अध्यक्ष शिबू सोरेन (Shibu Soren) 2009 में तमार विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए थे, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था.

अगर रघुवर दास चुनाव जीत गए होते, तो वह बीजेपी विधायक दल के नेता के लिए स्वाभाविक पसंद हो सकते थे. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि 81 सदस्यीय सदन में उसका नेता कौन होगा.

बीजेपी विधायक दल का नेता स्वाभाविक रूप से विपक्ष का नेता भी होगा. बीजेपी झारखंड में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है और विपक्षी दलों में भी वह सबसे बड़ा दल है. बता दें कि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में राज्य की 25 सीटें जीतीं और 32 फीसदी वोट हासिल करने में सफल रही.

बीजेपी के एक सूत्र ने कहा, 'केंद्रीय नेताओं को विधायक दल के नेता के बारे में फैसला करना होगा. ऐसा लगता है कि उन्हें यह स्पष्ट नहीं है कि इसके लिए कोई आदिवासी चेहरा होना चाहिए या गैर-आदिवासी. बीजेपी का बड़ा आदिवासी चेहरा नीलकंठ सिंह मुंडा हैं. वहीं गैर-आदिवासी नेताओं की कोई कमी नहीं है, जिनमें सीपी सिंह भी शामिल हैं.'

सीपी सिंह और नीलकंठ सिंह मुंडा दोनों रघुवर दास सरकार में मंत्री थे. सिंह 1995 से रांची विधानसभा सीट से जीतते रहे हैं, जबकि मुंडा चार बार विधायक और तीन बार मंत्री रहे हैं.

बीजेपी दुविधा में है, क्योंकि विधायक दल का नेता ही 2024 विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का चेहरा बनेगा. केंद्रीय नेता मुंडा या सिंह को पद देने के पक्ष में नहीं हैं. राज्य बीजेपी के महासचिव दीपक प्रकाश ने आईएएनएस को बताया, 'विधायक दल के नेता का चुनाव जल्द होगा. पार्टी सही समय पर फैसला लेगी.'