Bokaro News: भोक्ता पर्व के दौरान रात में शिवभक्तों ने दहकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए हठभक्ति का प्रदर्शन किया. इस दौरान श्रद्धालु अंगारों पर ऐसे चल रहे थे, जैसे फूल बिछे हों.
छऊ नृत्य का आयोजन किया गया, जिस में सभी धर्म ग्रामीणों ने एकता की मिशाल पेश करते हुए शामिल होकर मेला एवं नृत्य का आनंद उठाया. मंदिर के पुजारी बिजय पाण्डेय बताते हैं कि यहां 200 बरसों से भोक्ता पर्व मनाया जा रहा है और इस पर्व को मनाने वाली हमारी पांचवीं पीढ़ी है.
उन्होंने कहा कि यहां गोबर की ढेर में शिवलिंग प्रकट हुआ था, जिसके बाद ग्रामीणों के सामुहिक प्रयास से शिव मंदिर बनाया गया. इसके बाद गांव के लोगों के प्रयास से भोक्ता पर्व प्रारंभ किया गया.
पुजारी ने बताया कि भोक्ता पर्व के प्रथम दिन भक्तों ने निकट के तालाब में स्नान कर संजोत किया फिर दूसरे दिन निर्जला उपवास रख शाम को स्नान कर शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की.
भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव भक्तों ने रात को दहकते अंगारों पर नंगे पांव नृत्य किया. जिसके बाद 30 फीट ऊंचे बांस में घूमने की भी परंपरा है और शिव भक्त शिव की भक्ति में लीन रहते हैं.
भगवान भोलेनाथ को खुश करने की ये अनोखी परंपरा है और झारखंड में ये त्योहार महीने भर चलता है. कुछ जगहों पर इसे फूलखुंदी के दौरान शिवभक्तों ने दहकते अंगारों पर खाली पैर चलकर आस्था का परिचय दिया.
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