Buxar Sewage Treatment Plant: बक्सर गोलंबर से छोटकी सारिमपुर जाने वाली सड़क के किनारे एसटीपी का निर्माण हो रहा था, लेकिन जमीन के मालिकाना हक को लेकर विवाद होने से यह काम रुक गया और करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद योजना अधूरी रह गई.
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बक्सर: बक्सर शहर में गंगा नदी को नालों के गंदे पानी से मुक्त कराने की योजना फिर से जोर पकड़ रही है. नगर विकास एवं आवास विभाग ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की अधूरी योजना को पूरा करने के लिए नए सिरे से सर्वेक्षण करवाया है. ग्रीन डिजाइन एंड इंजीनियरिंग सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी ने इस कार्य को अंजाम दिया है.
छह स्थानों का हुआ चयन
जानकारी के अनुसार एजेंसी ने एसटीपी सीवेज वेटलैंड, इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन (आईपीएस) और मुख्य पंपिंग स्टेशन (एमपीएस) के लिए कुल छह स्थानों का चयन किया है. इसने अपनी रिपोर्ट नगर विकास विभाग को सौंपी है और आगे के कार्यों के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगा है.
पुरानी योजना में आई थी रुकावट
साथ ही पहले एसटीपी का निर्माण बक्सर गोलंबर से छोटकी सारिमपुर जाने वाली सड़क के किनारे किया जा रहा था. हालांकि, भूमि स्वामित्व के विवाद के चलते यह निर्माण कार्य रुक गया था और करोड़ों रुपए की लागत बर्बाद हो गई थी.
नई जगहों पर एसटीपी और पंपिंग स्टेशन
अब एजेंसी ने पुराने निर्माण स्थल के पूरब में खाली पड़ी जमीन को एसटीपी के लिए चुना है. यह स्थान गंगा पुल के संपर्क पथ और मुख्य सड़क के बीच में है. 150 गुणा 200 वर्गमीटर क्षेत्रफल में एसटीपी का निर्माण किया जाएगा. साथ ही चार पंपिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे, जिनमें तीन इंटरमीडिएट और एक मुख्य पंपिंग स्टेशन होगा. पहली जगह श्मशान घाट के पूरब, दूसरी जगह नाथ बाबा मंदिर के पास और तीसरी जगह बड़की सारिमपुर काली मंदिर के उत्तर में चुनी गई है. मुख्य पंपिंग स्टेशन के लिए पुलिया घाट को चिह्नित किया गया है.
सीवेज वेटलैंड और अन्य संरचनाएं
सीवेज वेटलैंड के लिए कृतपुरा के पास प्राथमिक विद्यालय के निकट 140 गुणा 150 मीटर क्षेत्र में स्थान चुना गया है. यह जगह नगर परिषद क्षेत्र के बाहर है, लेकिन गंगा के किनारे है.
स्थानों पर उठ रहे सवाल
चिह्नित स्थानों में से अधिकांश गंगा नदी के बाढ़ क्षेत्र में आते हैं. इसके साथ ही एसटीपी की नई जगह से गंगा पर बन रहे तीसरे पुल का संपर्क मार्ग भी गुजरता है.
भविष्य की योजना
नगर विकास विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद विस्तृत कार्ययोजना बनाई जाएगी. इस योजना का उद्देश्य गंगा को स्वच्छ रखना है, लेकिन सही जगहों का चयन न होने पर यह योजना भी अधूरी रह सकती है. अब देखना है कि यह योजना गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने में कितनी सफल होती है.
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