Munger: पैसों के अभाव में नहीं हो पा रहा कैंसर पीड़ित बच्ची का इलाज, बोली- अभी और जीना चाहती हूं
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Munger: पैसों के अभाव में नहीं हो पा रहा कैंसर पीड़ित बच्ची का इलाज, बोली- अभी और जीना चाहती हूं

मां सावित्री देवी ने बताया कि मोनी के पिता रंजीत तांती की मौत 21 नवंबर 2020 को हो गई है. इसके बाद से उसके परिवार की हालत काफी दयनीय हो चुकी है. उसने बताया कि रंजीत तांती प्राइवेट बिजली मिस्त्री का काम करते थे.

पैसे के अभाव में इलाज का इंतजार कर रही कैंसर पीड़ित बच्ची.

प्रशांत कुमार/मुंगेर: बिहार (Bihar) का स्वास्थ्य विभाग किस खस्ता हाल में है इसकी ताजा तस्वीर इस बात से सामने आती है कि आर्थिक तंगी के कारण एक विधवा मां अपनी 19 वर्षीय कैंसर पीड़ित बेटी का इलाज नहीं करवा पा रही है. बच्ची की हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है. वहीं सरकारी तंत्र की भी उस बच्ची को इलाज नहीं दिलवा पा रहा है.

बच्ची का नाम मोनी कुमारी है और वह ब्लड कैंसर (Blood Cancer) से पीड़ित है. बच्ची के घर में आर्थिक तंगी होने के कारण उसके परिजन बच्ची के कैंसर (Cancer) का इलाज किसी अच्छे संस्थान में नहीं करवा पा रहे हैं. बच्ची की देख-रेख सिर्फ उसकी विधवा मां करती है और पैसों के अभाव में अपनी कैंसर पीड़ित बेटी का इलाज नहीं करा पा रही है.

बच्ची की हालत ऐसी है कि उसके गले में कैंसर के कारण दो बड़े-बड़े गांठें हो गई है और वह ठीक से खाना तक नहीं खा पाती है और न ही ठीक से बोल पाती है. बच्ची को लगातार खून की उल्टी हो रही है. हालांकि, सदर अस्पताल के महिला वार्ड में वह इलाज के लिए भर्ती है, लेकिन वहां उसे किस प्रकार की चिकित्सीय सुविधा नहीं मिल पा रही है. वह साल 2015 से कैंसर पीड़ित है.

मोनी कुमारी की मां सावित्री देवी ने बताया कि मोनी के पिता रंजीत तांती की मौत 21 नवंबर 2020 को हो गई है. इसके बाद से उसके परिवार की हालत काफी दयनीय हो चुकी है. उसने बताया कि रंजीत तांती प्राइवेट बिजली मिस्त्री का काम करते थे. जबकि उसे दो पुत्री और दो पुत्र है, जिसमें मोनी कुमारी सबसे बड़ी है. उसने बताया कि पति की मौत के बाद जहां उसके पास अपने बच्चों को खिलाने के लिए पैसे नहीं है. 

वहीं इस हालत में मोनी का इलाज कराना कैसे संभव है. जबकि मोनी के कारण वह उसे घर में छोड़कर काम करने भी नहीं जा सकती. मोनी के दवाई और अन्य जांच में भी काफी पैसे खर्च हो गए है. जिसके कारण पिछले कुछ दिनों से मोनी को सदर अस्पताल में दिया जाने वाला खाना ही वह और उसके अन्य दो बच्चे खाकर रह रहे है.