बच्चा चोरी के अफवाह से भीड़ हो रही है उन्मादी, जबकि पुलिस के अनुसार कोई बच्चा चोरी की घटना एक साल में नहीं हुई है.
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पटनाः पिछले एक वर्ष में पटना में बच्चा चोरी की कोई घटना नहीं हुई है और न ही कोई बड़ा गिरोह पकड़ाया है. लेकिन बच्चा चोरी की अफवाह राजधानी पटना और आस-पास के क्षेत्र में ऐसा फैला है कि इसके जद में कई निर्दोष लोगों की जान चली गई है और कई घायल हुए हैं. अचानक से बच्चा चोरी का अफवाह उन्माद का रूप ले ले रहा है और भीड़ का उन्मादी रूप निर्दोष की जान लेने पर आतुर हो जाता है. इतना ही नहीं इस उन्मादी भीड़ से पीड़ित को बचाने भी कोई आगे नहीं आ रहा और न ही कोई वस्तु स्थिति को समझने को तैयार है.
भीड़तंत्र के इस बढ़ते खतरे से पुलिस प्रशासन हकलान है. पिछले 20 दिनों में बिहार में ऐसी 15 घटनाएं सामने आयी है. जिसमें आधा दर्जन मामला सिर्फ पटना और आस पास के क्षेत्र में घटी है. अब ऐसी घटना को रोकने के लिए डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय कई हिदायत दे चुके हैं. पटना की एसएसपी गरिमा मल्लिक खुद प्रभावित क्षेत्र में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से कई प्रयास किये है, लेकिन इन प्रयास के वावजूद घटना घटने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
पटना के रूपसपुर थाना अंतर्गत चुलैचक स्थान पर भीड़ ने बच्चा चोरी का अफवाह उड़ाकर पिट पिट कर मार डाला. बाद में पता चला कि वो मानसिक रूप से विक्षुब्ध व्यक्ति था और बच्चा चोरी से उसका दूर दूर तक कोई नाता रिश्ता नहीं था और इलाके में कोई बच्चा चोरी की घटना हुई भी नहीं है.
ऐसे ही दानापुर में बहार से आये दो पर्यटकों को बच्चा चोरी के अफवाह में उन्मादी भीड़ ने पिट पिट कर अधमरा कर दिया. नौबतपुर, मनेर, बिहटा और आसपास के क्षेत्र में लगातार ऐसी घटना सामने आने से कई सवाल खड़े हो गए हैं.
सवाल यह कि क्या जान बूझ कर साजिश के तहत समाज में कोई अशांति फैला रहा है और इसके लिए इस तरह की अफवाह का सहारा लेकर ऐसी घटना को अंजाम दिया जा रहा है? ऐसी घटना में जांच में ये बात सामने आयी है कि असामाजिक तत्व भीड़ के उन्मादी रूप लेने के बाद वहां से निकल जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पटना में हर इलाके में ऐसा गिरोह सक्रिय हो उठा है जो अफवाह फैलाकर निर्दोष लोगों को भीड़ का शिकार बनवा रहा है?
मनेर, नौबतपुर, दानापुर में बच्चा चोरी की अफवाह के बाद हुई घटना को देखते हुए पुलिस अब प्रमुखता से जागरूकता अभियान चला रही है और इसके लिए सोशल साइट की भी मदद ली गयी है. साइवर सेनानी ग्रुप पर थानेदार अपने स्तर से मैसेज देकर इस तरह की घटना को रोकने का आह्वान कर रहे हैं. पुलिस स्थानीय स्तर पर अपने तरीके से इसको लेकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं और इसके लिए वे स्थानीय नेता से लेकर गाँव के मुखिया से भी संपर्क कर उनका सहयोग ले रहे हैं जिससे लोग अफवाह में न पड़े और ऐसी घटना से बचा जा सके.
दूसरी ओर पिछली जो घटना हुई हैबुसमे धर पकड़ की कार्रवाई तेज कर लोगों को गिरफ्तार किया गया है और इसे भी आमजनों के सामने पुलिस रख रही है कि अफवाह के चक्कर में पड़ेंगे तो उन्हें परिणाम भुगतने पड़ेंगे और उनके खिलाफ विधि सम्मत कार्यवायी की जायेगी. कानून को हाथ में न लेने की अपील जगह जगह की गयी है और किसी के साथ मारपीट न कर यदि कोई संदेहास्पद दिखता है तो इसकी सूचना पुलिस को देने की बात बताई जा रही है.
एसएसपी पटना गरिमा मलिक ने कहा कि किसी का बच्चा चोरी नहीं हुआ और कोई प्राथमिकी भी दर्ज नहीं हुई है ऐसे में इस तरह का अफवाह फैलाया जा रहा है.एसएसपी ने लोगो से अपील की कि लोग ऐसी अफवाह से दूर रहे और ऐसी अफवाह फैलाने वालों की भी जानकारी पुलिस को दें.यदि कोई भीड़ से घिर गायभाई तो उसे बचाने के लिए भी लोगो को जागरूक किया जा रहा है.
लेकिन हद तो तब हो गयी जब पटना में बाईपास इलाके में अवकाश प्राप्त डीआईजी अजय वर्मा की भीड़ ने पिटाई कर दी जबकि वह अपने परिवार के साथ निजी काम करके घर लौट रहे थे. उन्हें और उनके बेटे की पिटाई भीड़तंत्र ने की और कोई भी उन्हें बचाने आगे नहीं आया, बिच सड़क पर घटना को असामाजिक तत्वों ने अंजाम दिया. घटना के बाद 14 अगस्त को डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय उनसे मिलने उनके घर गए और उनसे वस्तुस्थिति की जानकारी ली. लेकिन बिहार में जिस तरह से भीड़तंत्र कानून व्यवस्था को अपने हाथ में ले रहा है इससे निपटना प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है.