मुजफ्फरपुर नवरुणा हत्याकांड- सात सालों में भी सुराग खोजने में CID-CBI फेल, उठ रहे सवाल
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मुजफ्फरपुर नवरुणा हत्याकांड- सात सालों में भी सुराग खोजने में CID-CBI फेल, उठ रहे सवाल

सीबीआई ने 21 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने की मोहलत मांगी थी. सीबीआई ने दलील दी की इस मामले में कुछ आरोपियों से पूछताछ और साक्ष्यों के मिलान के लिए 6 महीने का वक्त चाहिए. 

राजनीतिक दलों के नेता इसे जांच एजेंसियों की नाकामी से जोड़ कर देखते हैं. (फाइल फोटो)

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले अतुल्य और मैत्री चक्रवर्ती की बारह वर्षीय बेटी नवरुणा को लापता हुए सात साल बीत गए लेकिन आज तक परिवार न्याय के लिए भटक रहा है. मामले की जांच कर रही सीबीआई आठ बार सुप्रीम कोर्ट से मोहलत ले चुकी है, लेकिन अभी तक जांच किसी मुकाम तक नहीं पहुंच पाई है.

आखिरी बार सीबीआई ने 21 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट से 6 महीने की मोहलत मांगी थी. सीबीआई ने दलील दी की इस मामले में कुछ आरोपियों से पूछताछ और साक्ष्यों के मिलान के लिए 6 महीने का वक्त चाहिए. न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सीबीआई की सुस्त रवैये को लेकर न सिर्फ फटकार लगाई बल्कि उसके आग्रह को ठुकराते हुए 6 माह की जगह तीन महीने की मोहलत दी, साथ ही कोर्ट ने परिजनों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के भी निर्देश दिए.

क्या है नवरुणा हत्याकांड?
आज से ठीक सात साल पहले मुजफ्फरपुर के रहने वाले अतुल्य और मैत्री चक्रवर्ती की बारह साल की बेटी नवरुणा का अपहरण और उसके बाद हत्या हुई थी, जिस समय नवरुणा को अगवा किया गया, वो घिरनी पोखर के अपने घर में सो रही थी. रात को नवरुणा परिवार के साथ खाना खाने के बाद कमरे में गयी थी, लेकिन अगले दिन अतुल्य और मैत्री चक्रवर्ती की जिंगदी बदल चुकी थी. उनकी बेटी को खिड़की तोड़ कर अगवा किया जा चुका था, तब से लेकर आज तक अतुल्य और मैत्री चक्रवर्ती अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक उसके हत्यारों का पता नहीं चल पाया है. बिहार पुलिस और सीआईडी के जांच में कोई सुराग नहीं मिलने के बाद देश की सबसे प्रतिष्ठित जांच एजेंसी सीबीआई को मामले की जांच सौंपी गई थी लेकिन सीबीआई को भी जांच करते हुए लगभग पांच साल हो गये, लेकिन एजेंसी अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पायी है. नवरुणा के पिता न्याय की आस में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे . सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी सीबीआई को कई बार सख्त निर्देश दिये गये, लेकिन नवरुणा के कातिल कौन हैं? इसका पता नहीं चल पाया.  इस मामले में शुरुआती जांच के दौरान पुलिस ने कई गिरफ्तारियां की, लेकिन आरोप साबित नहीं हो पाया और पकड़े गये लोगों को जमानत मिल गयी. जब जांच सीबीआई ने शुरू की, तो उसने भी कई गिरफ्तारियां की, लेकिन नवरुणा के कातिल का पता लगाने में अबतक सीबीआई नाकाम रही है.

राजनीतिक दल भी जांच में देरी को लेकर उठा रहे हैं सवाल.
राजनीतिक दलों के नेता इसे जांच एजेंसियों की नाकामी से जोड़ कर देखते हैं. बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और आरजेडी नेता विजय प्रकाश ना सिर्फ सीबीआई जांच पर सवाल खड़े कर रहे हैं बल्कि वो बिहार सरकार की सुशासन के दावे को भी नकार रहे हैं. विजय प्रकाश ने कहा 'अब तक सीबीआई की पकड़ में कातिल नहीं आ पाए हैं. छोटी जांच एजेंसी पर क्या भरोसा होगा? जब सीबीआई जैसी एजेंसी नवरुणा के कातिलों का पता नहीं लगा सकी है. बिहार में सुशासन की सरकार चल रही है, जिसमें हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं.'

वहीं कांग्रेस नेता और एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा कहते हैं 'बहुत दुखद है कि अब तक हत्यारे सीबीआई की गिरफ्त में नहीं आये हैं. इस मामले में सीबीआई फेल साबित हो रही है. इसमें बड़े लोग शामिल हो सकते हैं, जो सत्तापक्ष के लोग होंगे. मुख्य आरोपी को नहीं ढूंढ पाना, चिंता का विषय है.'

एक ओर बिहार के विपक्षी नेता जांच एजेंसियों पर सवाल खड़े कर रहे हैं तो वहीं बिहार के सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन का कहना है कि 'कई बार स्थानीय एजेंसियां किसी मामले को हल करने की ओर बढ़ रही होती हैं. उसी समय दबाव में किसी बड़ी एजेंसी को जांच दे दी जाती है, तो समस्या होती है. इस मामले में सीबीआई जांच की मांग नवरुणा के परिजन और विपक्ष कर रहा था, तो सरकार ने फैसला लिया. अब सीबीआई को बताना है, वो कहां तक पहुंची.'

नवरुणा को न्याय कब मिलेगा और उसके हत्यारे कब बेनकाब होंगे, ये बड़ा सवाल है और इसका जवाब शायद जांच एजेंसी सीबीआई के पास भी नहीं है, तभी तो वो सुप्रीम कोर्ट में बार-बार  मोहलत मांगती है. बड़ा सवाल ये है कि आखिर बिहार की बेटी को न्याय कब मिलेगा और उनके माता-पिता का इंतजार कब खत्म होगा?