सीएम ने कहा, 'फसल अवशेष को जलाना पर्यावरण के लिए घातक है. किसानों को पहले इसके लिए समझाएं. कृषकों को इसके लिए जागरुक करने की जरुरत है. जो भी उनकी समस्या है उसका निदान किया जाएगा.'
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पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा जल-जीवन-हरियाली अभियान अंतर्गत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत 30 जिलों में प्रथम वर्ष एवं 8 जिलों में द्वितीय वर्ष के कार्यक्रम का शुभारंभ किया.
कृषि विज्ञान केंद्रों से किसानों ने अनुभव साझा किया
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा, 'बिहार के सभी 38 जिलों में मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. प्रथम चरण में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पहले 8 जिलों में इसकी शुरुआत करायी गई थी और बचे हुए 30 जिलों में आज से इसकी शुरुआत कर दी गई है.'
2019 में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा, 'वर्ष 2019 में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की गई. इसमें 11 अवयवों को शामिल किया गया है. मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम तथा फसल अवशेष प्रबंधन भी इसमें शामिल है. उन्होंने कहा कि नई तकनीक यंत्रों के माध्यम से कटनी के बाद हो रहे सीधे बुआई के कार्य को भी आज कृषि विज्ञान केंद्रों पर दिखाया गया है, जिसे देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है.'
76 % लोगों की आजीविका का आधार कृषि
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में विकास के लिए हमलोगों ने कई कार्य किए हैं. कृषि रोडमैप की शुरुआत 2008 में की गई और अभी तीसरा कृषि रोडमैप चल रहा है. इससे कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता दोनों बढ़ी है. राज्य में 76 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है. बाढ़, सुखाड़ की स्थिति निरंतर राज्य में बनी रहती है. मौसम के अनुकूल फसल चक्र अपनाने से किसानों को काफी लाभ होगा. कृषि विभाग ने जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए सभी जिलों के 5-5 गांवों का चयन किया है, जिससे किसान जागरुक और लाभान्वित होंगे. जलवायु के अनुकूल कृषि से किसानों की लागत में कमी आती है और उन्हें अधिक लाभ होता है.
18 हजार KM लंबी मानव श्रृंखला बनायी
मुख्यमंत्री ने कहा कि 19 जनवरी 2020 को जल-जीवन-हरियाली अभियान के पक्ष में 5 करोड़ 16 लाख से अधिक लोगों ने 18 हजार किमी लंबी मानव श्रृंखला बनायी थी. 9 अगस्त 2020 तक 2 करोड़ 51 लाख वृक्षारोपण का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन उससे अधिक 3 करोड़ 48 लाख वृक्षारोपण किया गया. 14 से 15 अक्टूबर 2019 को कृषि विशेषज्ञों का पटना में फसल अवशेष पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें फसल अवशेष के प्रबंधन को लेकर विस्तृत चर्चा हुई.
फसल अवशेष को जलाने की प्रवृति पंजाब से शुरु हुई
सीएम ने कहा, 'फसल अवशेष को जलाने की प्रवृत्ति पंजाब से शुरू हुई और बिहार के सासाराम, कैमूर होते हुए अन्य जिलों तक पहुंच गयी. पूरे बिहार में फसल अवशेष को जलाया जा रहा है. 2019 से पराली जलाने के खिलाफ अभियान चलाया गया. मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि कृषि विभाग के वरीय अधिकारियों से हवाई सर्वेक्षण कराकर इसका आकलन कराएं. फसल अवशेष को जलाना पर्यावरण के लिए घातक है. किसानों को पहले इसके लिए समझाएं. कृषकों को इसके लिए जागरुक करने की जरुरत है. जो भी उनकी समस्या है उसका निदान किया जाएगा. उन्हें हर तरह से सहयोग दिया जाएगा. फसल अवशेष को जलाने की जरुरत नहीं है बल्कि किसान उस अवशेष का सदुपयोग करें इससे किसानों को फायदा होगा और उनकी आमदनी भी बढ़ेगी.'
फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को नुकसान
नीतीश कुमार ने कहा, 'फसल अवशेष जलाने से पर्यावरण को नुकसान हो रहा है. साथ ही खेतों में फसल अवशेष जलाने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है. फसल कटाई के वक्त खेतों में फसलों का अवशेष नहीं रहे इसके लिए रोटरी मल्चर, स्ट्रॉ रिपर, स्ट्रॉ बेलर एवं रिपर कम बाइंडर का उपयोग किसान करें. इन यंत्रों की खरीद पर राज्य सरकार किसानों को 75 प्रतिशत जबकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अतिपिछड़े समुदाय के किसानों को 80 प्रतिशत अनुदान दे रही है.'
UN में जल जीवनहरियाली कैंपेन की चर्चा
मुख्यमंत्री ने कहा, 'धान अधिप्राप्ति का कार्य तेजी से किया जा रहा है. इस बार धान अधिप्राप्ति का न्यूनतम लक्ष्य 45 लाख मीट्रिक टन रखा गया है. हम किसानों के हित में काम कर रहे हैं. किसानों को यह बात समझाने की जरूरत है कि फसल अवशेष को जलाने से पर्यावरण पर संकट उत्पन्न होगा और इस संकट से आने वाली पीढ़ी को समस्या होगी. हमलोग बिहार में ऐसी आदर्श व्यवस्था बनाएंगे जिसका लोग अध्ययन करेंगे. जल-जीवन-हरियाली अभियान की चर्चा यूनाईटेड नेशन में भी हुई है. बिहार में अच्छे कार्यों की चर्चा देश के बाहर भी होती है. मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाना है. यह पांच वर्ष की योजना नहीं है. यह स्थाई कार्यक्रम है. अभी पांच वर्ष के लिए राशि आवंटित की गई है. जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र के लिए यह योजना जरुरी है. उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम के द्वारा जिन लोगों तक मेरी बात पहुंच रही है वे इस पर जरुर गौर करें.