झारखंड: CM हेमंत ने अपना वादा किया पूरा, सदन में पेश किया श्वेत पत्र
Advertisement

झारखंड: CM हेमंत ने अपना वादा किया पूरा, सदन में पेश किया श्वेत पत्र

हेमंत सोरेन ने रघुवर सरकार पर आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने अपने शासनकाल में वित्तीय कुप्रबंधन, सरकारी धनराशि का अपव्यय तथा धनसंग्रहण के मोर्चें पर भारी विफलता की नई दास्तान पेश की है

झारखंड के मुख्यमंत्री हैं हेमंत सोरेन. (फाइल फोटो)

रांची: झारखंड में महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने कुर्सी संभालने के बाद कहा था कि राज्य की आर्थिक स्थिति और विकास को लेकर हमारी सरकार श्वेत पत्र लाएगी, क्योंकि राज्य का खजाना खाली है. इसी क्रम में हेमंत सरकार ने बजट सत्र के दूसरे दिन सदन के पटल पर श्वेत पत्र जारी किया.

सोमवार को विधानसभा में पेश श्वेत पत्र में हेमंत सरकार ने कहा है कि राज्य का पिछला पांच साल एक वित्तीय संकट का काल रहा है. वर्ष 2014-15 से 2018-19 की अवधि में राज्य को केंद्र से पर्याप्त राशि मिलती रही, लेकिन आंतरिक स्रोतों से क्षमता से कम राजस्व संग्रहण के कारण एवं बिना गहन अध्ययन किए, अनावश्यक एवं अनुपयोगी योजनाओं के कार्यान्वयन से एक तरफ राज्य वित्तीय संकट से गुजरता रहा. वहीं, दूसरी तरफ जन-आकांक्षाएं पूरी करने में भी सफलता नहीं मिल सकी. इसके फलस्वरुप वर्तमान में राजकोष अभावग्रस्त है.

श्वेत पत्र जारी करने का उद्देश्य बताते हुए सरकार ने कहा है कि राज्य की जनता को पारदर्शिता के साथ राज्य की वित्तीय स्थिति से अवगत कराना जरुरी है. ऐसे में इस परिस्थिति में राज्य को आर्थिक संकट से बाहर लाने के लिए कई अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक दोनों तरह के प्रयास करने होंगे तथा राज्य सरकार के द्वारा अवरोधों एवं समस्याओं का गहन अध्ययन कर उनके निराकरण की कार्रवाई की जाएगी.

वहीं, हेमंत सोरेन ने रघुवर दास सरकार पर आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने अपने शासनकाल में वित्तीय कुप्रबंधन, सरकारी धनराशि का अपव्यय तथा धनसंग्रहण के मोर्चें पर भारी विफलता की नई दास्तान पेश की है. आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के आधार पर वर्तमान सरकार का कहना है कि 2014-15  में झारखंड राज्य का आर्थिक विकास दर 12.5 प्रतिशत था, जो वर्ष 2015-16 से 2018-19 इसका औसत वार्षिक विकास दर मात्र 5.7 प्रतिशत ही रहा.

इधर, श्वेत पत्र में इस बात का भी उल्लेख है कि 2014-15  में प्रति व्यक्ति वास्तविक आय 48781 रुपए थी, जो दो साल के बाद 2016-17 में इसमें मात्र 45 रुपए की वृद्धि हुई, जो प्रति व्यक्ति आय का मात्र 0.1 प्रतिशत है.