वही, पंचायती राज और शहरी निकायों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण, सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण और बेटियों की शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों से उन्होंने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उन्होंने मील के कई पत्थर स्थापित किए
Trending Photos
पटना: बिहार में जेडीयू के विधानसभावार वर्चुअल सम्मेलन के नौवें दिन राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा में दल के नेता आरसीपी सिंह ने कहा कि 26 जुलाई के दिन का ऐतिहासिक महत्व है. आज के दिन हमलोग कारगिल विजय दिवस मनाते हैं और आज ही के दिन 118 साल पहले 1902 में महाराष्ट्र के कोल्हापुर में शाहूजी महाराज ने सरकारी नौकरियों में पिछड़ों और वंचितों को आरक्षण देने की शुरुआत की थी.
उस समय के लिए यह सोच बहुत बड़ी बात थी. शाहूजी महाराज के साथ ही मैं ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले को भी नमन करता हूं, जिन्होंने सामाजिक सुधार और स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने का काम किया.
महाराष्ट्र की धरती से ही निकलकर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर आए और हमें हमारा संविधान मिला. लोकतंत्र की सामाजिक पकड़ को मजबूत बनाने में इन महापुरुषों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.
आरसीपी सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में शाहूजी महाराज, ज्योतिबा फुले, सावित्रीबाई फुले और बाबासाहेब की सोच को अमलीजामा पहनाने का काम किया. उन्होंने सुनिश्चित किया कि बिहार में जाति, धर्म और लिंग के आधार पर समाज में तनाव नहीं हो.
दलित-महादलित, पिछड़े-अतिपिछड़े, आदिवासी, अल्पसंख्यक हों या सामान्य वर्ग, विकास की किरण पहुंचाने में उन्होंने कोई भेदभाव नहीं किया.
वही, पंचायती राज और शहरी निकायों में महिलाओं के लिए 50% आरक्षण, सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण और बेटियों की शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों से उन्होंने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उन्होंने मील के कई पत्थर स्थापित किए. नरसंहारों और सांप्रदायिक दंगों के दौर से बिहार को निकालकर उन्होंने शांति स्थापित की.
जेडीयू नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्पष्ट सोच रही कि सामाजिक सद्भाव और सांप्रदायिक सौहार्द्र के बिना न तो शांति स्थापित हो सकती है और न ही समावेशी विकास संभव है. वहीं, दूसरी ओर सामाजिक न्याय का ढोल पीटने वालों को जब मौका मिला, वे अपने परिवार के विकास में लगे रहे. उनके लिए आरक्षण का मतलब स्वयं का आरक्षण रहा.
विधानसभा या विधानपरिषद में पहली कुर्सी हो या राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद, वहां स्थायी आरक्षण की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने के इतिहास को याद रखना जरूरी है, इसलिए इन बातों को याद रखें.
आरसीपी सिंह ने कहा कि हमारे सामने कोरोना, बाढ़ और बरसात के बीच चुनाव की संवैधानिक बाध्यता है. इस समय हमें अपने सामाजिक दायित्व का भी निर्वहन करना है. जदयू के सभी कार्यकर्ता कोरोना पीड़ितों और उनके परिजनों को संबल और सहायता दें. इसके साथ ही उन्होंने सबसे मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंस का पालन करने की अपील की.
सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार ने कहा कि हमारी सरकार ने कब्रिस्तानों की घेराबंदी की तो मंदिर, चर्च, गुरुद्वारा और स्तूपों का भी ध्यान रखा. महिलाओं को हमने एक सामाजिक समूह माना. सात निश्चय हो या कोराना काल में उठाए गए कदम किसी के साथ भेदभाव नहीं किया.