मुख्यमंत्री नीतीश ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आगे किसी तरह का विवाद नहीं होनी चाहिए. सभी को कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए.
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पटना: अयोध्या केस (Ayodhya Case) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी. सभी पांच जजों ने सर्वसम्मिति से राम मंदिर के पक्ष में अपना फैसला सुनाते हुए विवादित स्थान से दूरी पर मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला सुनाया है.
Bihar Chief Minister Nitish Kumar on #AyodhyaVerdict: Supreme Court's judgement should be welcomed by everyone, it will be beneficial for the social harmony. There should be no further dispute on this issue, that is my appeal to the people. pic.twitter.com/WbSypWgoyI
— ANI (@ANI) November 9, 2019
साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आगे किसी तरह का विवाद नहीं होनी चाहिए. सभी को कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए. यही समाज में प्रेम और सद्भावना का वातावरण बनाए रखने के लिए जरूरी होगा.
ज्ञात हो कि फैसले सुनाते हुए सीजेआई ने कहा कि बाबर के समय मीर बाकी ने मस्जिद बनवाई थी. 1949 में दो मूर्तियां रखी गई थी. बाबरी मस्जिद हिंदू स्ट्रक्चर के ऊपर बनाई गई. यह मस्जिद समतल स्थान पर नहीं बनाई गई. एसआई की खुदाई में 21वीं सदी में मंदिर के साक्ष्य मिले. सीजेआई ने कहा की खुदाई के साक्ष्यों को अनदेखा नहीं कर सकते हैं. खुदाई में इस्लामिक ढांचे के सबूत नहीं मिले थे. सीजेआई ने यह भी कहा कि अंग्रेजों के आने से पहले हिंदू वहां राम चबूतरे और सीता रसोई पर पूजा होती रही थी.
सीजेआई ने कहा है कि एएसाई की खुदाई में जो चीजें मिली हैं उसे हम खारिज नहीं कर सकते हैं. सीजेआई ने कहा कि खुदाई से मिले दस्तावेजों को खारिज नहीं कर सकते हैं. कहा कि थोड़ी देर में तय हो जाएगा कि जमीन पर मालिकाना हक किसका है. सीजेआई ने कहा कि आस्था और विश्वास पर कोई सवाल नहीं है. सीजेआई ने कहा श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था इसमें कोई शक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने रामलला को कानूनी मान्यता दी.
सीजेआई ने कहा कि 1856 से 57 तक उस स्थान पर हिंदुओं को पूजा करने से रोका नहीं गया था. सदियों से हिंदुओं द्वारा वहां पूजा किए जाना यह साबित करता है कि उनका विश्वास है उस स्थान पर रामलला विराजमान है.
सीजेआई ने कहा कि बाहरी प्रांगण में हिंदू पूजा करते रहे हैं. हाईकोर्ट ने इस मामले के तीन हिस्से किए ये तार्किक नहीं है.केंद्र सरकार तीन महीने में मंदिर निर्माण की योजना बनाए. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाकर मंदिर बनाने की योजना तैयार करे. मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह जमीन देने का आदेश. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रामलला के पक्ष में सुनाया. मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन दी जाए.