कुशवाहा ने कहा, 'लोग आरक्षण का विरोध करते हैं. कहते हैं कि यह योग्यता को अनदेखा करता है, लेकिन मुझे लगता है कि कॉलेजियम योग्यता को अनदेखा करता है.'
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नई दिल्ली/पटना : केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने एक विवादित बयान देते हुए कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने पटना में एक कार्यक्रम में कहा कि कॉलेजियम सिस्टम हमारे लोकतंत्र पर एक धब्बा है.
उन्होंने कहा, न्यायपालिका के दृष्टिकोण के अनुसार, वर्तमान समय में, न्यायाधीश अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करते हैं, वे वास्तव में अपने उत्तराधिकारी नियुक्त करते हैं. वे ऐसा क्यों करते हैं? उत्तराधिकारी चुनने के लिए यह प्रणाली क्यों बनाई गई थी?.
कुशवाहा ने कहा, 'लोग आरक्षण का विरोध करते हैं. कहते हैं कि यह योग्यता को अनदेखा करता है, लेकिन मुझे लगता है कि कॉलेजियम योग्यता को अनदेखा करता है. एक चाय विक्रेता पीएम बन सकता है. मछुआरे का बेटा वैज्ञानिक बनने के बाद राष्ट्रपति बन सकता है, लेकिन क्या एक नौकरानी का बच्चा न्यायाधीश बन सकता है? कॉलेजियम सिस्टम हमारे लोकतंत्र पर एक धब्बा है.'
According to the attitude of the judiciary, in the present time, judges don't appoint other judges, they actually appoint their successors. Why do they do that? Why was this made a system to choose successors?: Upendra Kushwaha, MoS (HRD) in Patna (05.06.2018) pic.twitter.com/rx9DWOYK2K
— ANI (@ANI) June 6, 2018
People oppose reservation, say it ignores merit but I think collegium ignores merit. A tea-seller can become PM, fisherman's child can become scientist&later President but can a maid's child become judge? Collegium's a blot on our democracy: U Kushwaha, MoS (HRD) in Patna (05.06) pic.twitter.com/FcsLBpXO9O
— ANI (@ANI) June 6, 2018
दरअसल, हाल में उठे विवाद के बाद सर्वोच्च न्यायालय की कॉलेजियम ने एक सामूहिक निर्णय में उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश के.एम. जोसेफ की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति की अनुशंसा दोबारा भेजने का फैसला किया. कॉलेजियम ने फैसला किया कि न्यायमूर्ति जोसेफ को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने के लिए 10 जनवरी को 'सर्वसम्मति' से किए गए सिफारिश को दोबारा भेजा जाएगा.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति जे. चेलामेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ की कॉलेजियम ने एक बैठक में यह फैसला लिया था. कॉलेजियम ने कहा, "प्रधान न्यायाधीश और कॉलेजियम के अन्य सदस्य सामूहिक रूप से सर्वसम्मति के साथ इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश को दोबारा भेजी जाएगी."
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 26 अप्रैल को न्यायमूर्ति जोसेफ को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने के संबंध में सिफारिश को वापस लौटा दिया था और कहा था कि अखिल भारतीय न्यायाधीश की वरिष्ठता के क्रम में वह 42वें स्थान पर आते हैं और उच्च न्यायालयों के 11 मुख्य न्यायाधीश उनसे वरिष्ठ हैं.