क्षेत्र के लोगों को प्रदूषित पानी से निजात दिलाने के लिए करोड़ों की लागत का मशीन लगाया गया था ताकि लोगों को शुद्ध पेय जल मिल सके. लेकिन महज 2-3 महीने के ही बाद करोड़ों के लागत से बनाया गया संयत्र खराब हो गया.
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मधेपुरा: बिहार के मधेपुरा जिला के सुखासन पंचायत के महादलित टोले को 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गोद लिया था. सूबे के मुखिया ने मुख्यमंत्री सात निश्चय महत्वाकांक्षी योजना के तहत 'हर घर गली नली' और 'नल-जल' योजना की शुरुआत की थी.
क्षेत्र के लोगों को प्रदूषित पानी से निजात दिलाने के लिए करोड़ों की लागत का मशीन लगाया गया था ताकि लोगों को शुद्ध पेय जल मिल सके. लेकिन महज 2-3 महीने के ही बाद करोड़ों के लागत से बनाया गया संयत्र खराब हो गया.
विभाग ने तत्काल संयत्र को ठीक भी करवाया लेकिन बावजूद इसके नल से गंदा पानी निकल रहा है जिससे स्थानिय लोग गंदे पानी का इस्तेमाल करने पर मजबूर हैं.
आलम ये है कि सभी महत्वपूर्ण योजनाओं का धरातल पर कोई असर नहीं दिख रहा है.
यहां तक कि यहां 'हर घर गली-नली' और 'नल-जल योजना' भी फ्लॉप साबित हो रही है. लोगों को पीने के लिए साफ पानी तक नहीं मिल रहा है. इन सब के बीच जिला प्रशासन और पीएचईडी विभाग कटघरे में खड़ा है.
पूरे मामले पर जिले के डीएम नवदीप शुक्ला ने कहा कि सुखासन गांव का मामला संज्ञान में आया है. जिसपर काम किया जा रहा है. साथ ही डीएम ने कहा कि अगर कहीं सयंत्र बंद है तो तत्काल जांच कर चालू करवाया जाएगा. इसके लिए पीएचईडी विभाग के कार्यपालक पदाधिकारी को सूचना दे दी गई है और जल्द ही इन समस्याओं को सुलझा लिया जाएगा.
Preeti Negi, News Desk