आरजेडी सदन में सीबीआई के दुरुपयोग को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाएगी. जिसका समर्थन कांग्रेस करेगी. मंगलवार को दानों शीर्ष दलों के नेताओं के बीच बातचीत के बाद इसकी सहमति बनी है.
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आशुतोष चंद्रा, पटना: बिहार विधानमंडल में लालू यादव का मुद्दा अब उठेगा. कांग्रेस और आरजेडी के बीच मुद्दा उठाने को लेकर सहमति बन गई है. आरजेडी सदन में सीबीआई के दुरुपयोग को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव लाएगी. जिसका समर्थन कांग्रेस करेगी. मंगलवार को दानों शीर्ष दलों के नेताओं के बीच बातचीत के बाद इसकी सहमति बनी है.
सहमति के मुताबिक कांग्रेस के उठाए एजेंडों पर आरजेडी को भी समर्थन देना होगा. लालू प्रसाद और सीबीआई के मसले को सदन में उठाने को लेकर कांग्रेस अब मान गई है. मंगलवार को पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच विधानसभा में बैठक के बाद आमसहमति बन गई. बैठक में आरजेडी की तरफ से तेजस्वी यादव और कांग्रेस की तरफ से विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह समेत दोनों दलों के कई वरिष्ठ विधायक मौजूद थे.
आरजेडी के मुख्य सचेतक भाई वीरेन्द्र ने मीटिंग के बाद कहा कि दोनों दलों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत हो चुकी है. अब लालू प्रसाद के मुद्दे पर भी दोनों ही साथ मिलकर विरोध करेंगे. सहमति के मुताबिक आरजेडी सीधे लालू प्रसाद का मुद्दा सदन में नहीं उठाएगी. बल्कि पार्टी सीबीआई के दुरुपयोग का मामला सदन में उठाएगी.
जिसका कांग्रेस समर्थन करेगी. लेकिन आरजेडी को समर्थन देने के मसले को लेकर कांग्रेस ने भी शर्त रखी है. आरजेडी को अब कांग्रेस के भी उन मुद्दों का समर्थन करना होगा जिसे कांग्रेस अपने प्रस्ताव के जरिये सदन में लाएगी. कांग्रेस विधायक अजित शर्मा ने कहा कि बैठक में आमसहमति बन चुकी है. दोनों ही दल एक दूसरे का मुद्दों पर सहयोग कर सरकार को घेरेंगे.
हलांकि इस बैठक से पहले विधानसभा की कार्रवाही से पहले विधानसभा पोर्टिको में अलग ही नजारा दिखा. कांग्रेस और आरजेडी के विधायक अलग अलग मुद्दे पर अलग अलग प्रदर्शन करते नजर आए. दरअसल मामला सीतामढी दंगे में एक बुजुर्ग को जला देने का था. जिसे मुद्दा बनाकर सबसे पहले कांग्रेस के विधायक सदन के बाहर प्रदर्शन करने पहुंचे.
उसके कुछ देर बाद आरजेडी के विधायक भी सदन के बाहर लॉ एण्ड आर्डर के मुद्दे को लेकर प्रदर्शन करने पहुंच गए. लेकिन दोनों ही दल दो गुटों में अलग अलग सरकार का विरोध करने लगे. कांग्रेस आरजेडी के मुद्दे के आगे अपने मुद्दो को गौन नहीं होने देना चाहती थी. यही वजह रही की पार्टी ने आरजेडी के पैरेलल सरकार का अलग से विरोध करने की रणनीति तैयार की.
लेकिन दोनों ही दलों को इसबात का एहसास हो गया कि इसतरह का विरोध महागठबंधन के लिए खराब मैसेज साबित हो सकता है. यही वजह रही कि दोनों दलों के नेताओं ने आपसी सहमति के लिए बैठक करना बेहतर समझा.
इधर बीजेपी ने आरजेडी और कांग्रेस के बीच बनी सहमति पर चुटकी ली है. पार्टी के विधायक संजय सरावगी ने कहा है कि दोनों ही भ्रष्टाचारी दल मजबूरी में एक दूसरे के साथ बने हुए हैं. और सत्र के दूसरे दिन सदन के अंदर और बाहर इसकी तस्वीर खूब देखने को मिली.
बैठक के बाद उम्मीद की जा रही है कि अब सदन में मुद्दों को लेकर कांग्रेस आरजेडी के बीच एकजुटता देखने को मिलेगी. लेकिन बडा सवाल ये है कि क्या आरजेडी कांग्रेस के मुद्दों पर सदन में कांग्रेस को सपोर्ट करने की नयी परंपरा शुरु कर पाएगी. क्योंकि अबतक की परंपरा में कांग्रेस को आरजेडी का पिछलग्गू ही माना गया है.